झारखंड का जामताड़ा जिला का नाम आते ही जो चीज सबसे पहले लोगों के दिमाग में आती है वो है साइबर लूट की| लेकिन अब जिले की इसी छवि को बदलने के लिए यहां पुस्तकालय क्रांति चलाई गई है जिसने महज कुछ ही समय में क्षेत्र के बच्चों की जिंदगी को नया आयाम दे दिया है| जामताड़ा के विभिन्न क्षेत्रों में सामुदायिक पुस्तकालय शुरू किए गये है ताकि यहां के बच्चों और युवाओं में किताबों के जरिेए अच्छे विचार जागृत किए जा सके| इसी क्रम में शनिवार को जामताड़ा के विभिन्न ब्लॉक में 6 नए पुस्तकालयों का उद्घाटन किया गया|
क्षेत्र के बच्चों में किताबों के लिए जो प्रेम और उत्साह देखने को मिला है ये बहुत महत्व रखता है खासतौर पर तब जब जामताड़ा की पहचान आज के समय में देश की धोखाधड़ी की राजधानी के रूप में सामने आ रही है| आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते कुछ सालों में देश की 29 राज्यों में से 22 राज्यों की पुलिस झारखंड के इस छोटे से जिले में साइबर अपराधियों के खोज में आ चुकी है| बताया जाता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जो लोगों को फ्रॉड कॉल आते हैं, उनमें अधिकांश कॉल जामताड़ा से किए जाते हैं|
देखा गया है कि ज्यादातर 15-35 वर्ष आयु वर्ग के युवा कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में साइबर अपराध का रास्ता अपना लेते हैं| साल 2020 में नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा में होने वाली साइबर अपराध की गतिविधियों पर आधारित एक वेब सीरीज भी आई थी| जिसके बाद जामताड़ा साइबर अपराध केंद्र के रूप में और भी ज्यादा प्रचल्लित हो गया|
लेकिन अब जामताड़ा के इस धूमिल छवि को बदलने की कवायद की जा रही है| इस संबंध में जिले के उपायुक्त (डीसी) फैज अकर अहमद मुमताज ने कहा, “अब हमने जामताड़ा की पहचान को बदलने की पहल की है, जहां कभी शिक्षक और समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने सामुदायिक पुस्तकालय आंदोलन के माध्यम से काम किया था।”
श्री मुमताज ने कहा कि जिले में अब 45 सार्वजनिक पुस्तकालय हैं जो अब सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। खाली और बेकार पड़े सरकारी भवनों व स्कूलों का नवीनीकरण कर उन्हें सार्वजनिक पुस्तकालयों में परिवर्तित कर दिया गया है। उपायुक्त मुमताज ने कहा कि कोरोना काल के दौरान दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की पढ़ाई भी बाधित हुई थी। लेकिन सामुदायिक पुस्तकालय ऐसे छात्रों के लिए एक वरदान साबित हुआ। राज्य सरकार इन परिसरों में गणित और विज्ञान के लिए कक्षाएं संचालित कर रही है।
ऐसे में जालसाजी और धोखाधड़ी के तरीके सीखने के बजाए छात्र अब डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया, इंडियन इकोनॉमी और इंडिया आफ्टर गांधी जैसी पुस्तकों का अनुसरण कर सकते हैं। उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक रविवार को शिक्षक छात्रों तक पहुंच रहे हैं और विभिन्न विषयों में छात्रों की शंकाओं को दूर करने का काम कर रहे हैं, ताकि छात्रों को आगामी परीक्षा में परेशानी का सामना न करना पड़े। प्रत्येक पुस्तकालय के लिए दो शिक्षकों को प्रभार दिया गया है। जामताड़ा उपायुक्त ने कहा कि सार्वजनिक पुस्तकालयों को अगले साल तक 100 और पंचायतों में कार्यशील बनाया जाएगा।
जामताड़ा की जेलों में 93 साइबर अपराधी बंद हैं, जबकि 2020 में विभिन्न मामलों में 156 ऑनलाइन जालसाजों को गिरफ्तार किया गया था। 74 मामलों में, 17 मामले पीड़ित शिकायतों पर आधारित थे, जबकि 57 मामले जामताड़ा में खुफिया जानकारी के बाद दर्ज किए गए थे।
इससे पहले, जामताड़ा पुलिस प्रशासन ने साइबर धोखाधड़ी करने वालों को शिक्षित करने और पकड़े जाने के नतीजों के बारे में चेतावनी देते हुए एक आईईसी (सूचना शिक्षा संचार) अभियान शुरू किया था।
श्री मुमताज ने कहा, बढ़ते डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग को कारण लोगों के साथ होने वाली साइबर फ्रॉड केवल बढ़ने वाले हैं। आसानी से पैसे कमाने की लालच में युवा ऑनलाइन धोखाधड़ी का सहारा लेते पाए गए हैं। ऐसे में उन्हें शिक्षा की ओर मोड़ने की जरूरत है और ये प्रयास उसी दिशा में है।”