जामताड़ा – साइबर अपराध का ऐसा गढ़ जहां आये शातिर ढूंढ निकलाते हैं ठगी के नए तरीके..

वर्ष 2013, जब पहली बार साइबर क्राइम की दुनिया में जामताड़ा का नाम दर्ज हुआ| इसके बाद से यहां से सैकड़ों अपराधी गिरफ्तार हो चुके हैं| देश के लगभग हर राज्य की पुलिस यहां के शातिरों को गिरफ्तार कर उनसे उनके आपराधिक तरीके को लेकर सवाल-जवाब कर चुकी है| लेकिन किसी को भी कोई पुख्ता जानकारी हासिल नहीं हो सकी| यहां तक कि इन साइबर ठग को रोकने के लिए साइबर सेल और एथिकल हैकरों की टीम तक को लगा दिया गया, लेकिन इसमें भी कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई|

आलम ये है कि साइबर अपराध का जाल बढ़ता ही चला जा रहा है| आये दिन एक नई शिकायत मिलती है जिसमें हजारों से लेकर लाखों तक की ठगी की वारदात सामने आती है| सबसे बड़ी बात है कि ये शातिर अपराधी, कोई ना कोई नए तरीके से जालसाजी कर सभी को हैरत में डाल देते हैं|

कभी फर्जी बैंक अधिकारी बनकरखाते की जानकारी निकलवा लेना, तो कभी किसी की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर दोस्तों को झूठे मैसेज भेजकर पैसे मांगना|एसएमएस, फर्जी वेबसाइटों की लिंक, एटीएम कार्ड क्लोनिंग, कस्टमर केयर, ई सिम इत्यादि इन साइबर अपराधियों के हथियार का काम करते हैं|इन सब का इस्तेमाल कर ये शातिरनए-नए हथकंडे अपनाते हैं और आम से खास तक के खातों में सेंध लगाते हैं। जब तक आम लोग किसी एक तरीके को समझ कर सतर्क होते हैं, ये शातिर दूसरेऔर तरीके ढूंढ़ लेते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी भी नई तकनीक के आते ही इन अपराधियों की बाकायदा ट्रेनिंग होती है|जिसमें इनलोगों को तकनीकीबारीकियों की जानकारी दी जाती है।

वो खास तरीके जिनका इस्तेमाल ठगों द्वारा किया जाता है…

हेलो मास्टर : इसे सबसे पुराना तरीका कहा जा सकता है जिससे शायद आप सभी अच्छे से वाकिफ भी होंगे| इसमें साइबर ठग किसी खाताधारक को फोन कर अपना परिचय बैंक शाखा या मुंबई शाखा के अधिकारी के रूप में देते हैं। खाताधारकों को उनके एटीएम कार्ड एक्सपायर होने की बात कहते हैं| उसे सक्रिय रखनेके लिए कार्ड नंबरऔर पासवर्ड मांगा जाता है। सूचना मिलते ही खाते से रुपये उड़ा लिए जाते हैं।

कार्ड क्लोनिंग : ऐसे एटीएम मशीन जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं होते, वहां शातिरों द्वारा एटीएम स्कीमिंग डिवाइस यानी स्कीमर लगा दिये जाते हैं|जैसे ही उपभोक्ता स्कीमर लगे मशीन में अपना कार्ड डालता है, उसकी सारी जानकारी स्कीमर में आ जाती है। इसके बाद ठग बड़ी ही आसानी से कार्ड का क्लोन तैयार कर लेते हैं।अप्रैल 2019 में करमाटांड़ के व्यवसायी राजेश मंडल शातिरों के इस तरीके का शिकार हुए थे| बर्धमान के एक एटीएम से उनके खाते से एक लाख रुपये निकाल लिए गए। जांच में पता चला कि कार्ड की क्लोनिंग की गई थी। छानबीन में करमाटांड़ में स्कीमर और क्लोन कार्ड बरामद किए गए।

कस्टमर केयर : साइबर ठगी के शातिर कस्टमर सर्विस के लिए गूगल पर फर्जी नंबर व लिंक डाल देते हैं। उस लिंक पर क्लिक करते ही सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है। और तो और, दिए गए नंबरों पर फोन करने पर भी अपराधी सक्रिय हो जाते हैं।

फर्जी फेसबुक आइडी : ये तरीका आजकल बेहद आम हो रखा है| किसी व्यक्ति की फेसबुक प्रोफाइल से उसकी फोटो डाउनलोड कर उसी नामसे नई फेसबुक प्रोफाइल तैयार कर ली जाती है। फेक प्रोफाइल से यूजर के दोस्तों को भावुक संदेश भेजा जाता है। ज्यादातर निजी चैटिंग कर परिवार के किसी सदस्य, सगे-संबंधी के बीमार होने का संदेश भेजकर पैसों की सहायता की गुहार लगाते हैं।

पेटीएम कर्मी को ही मिला लिया…
जामताड़ा के शातिरों ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मुंबई के एक पेटीएम कर्मी को भी अपने साथ शामिल कर लिया| उससे साठगांठ कर कंपनी के उपभोक्ताओं की लिस्ट मंगा ली। फिर कंपनी का लिंक भेजकर उनसे ठगी शुरू कर दी। जनवरी 2020 में जामताड़ा के एसपी अंशुमान कुमार ने झिलुवा से जीतेंद्र मंडल और उसके दो सहयोगियों को पकड़ा था। पूछताछ में इन लोगों ने कबूलाकि लिस्ट मंगाकर उनलोगों ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों के पेटीएम खाताधारकों को चपत लगाई।

एसपी अंशुमान कुमार ने बताया कि वर्तमान में साइबर ठग लिंक का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इन लोगों ने पेटीएम कर्मी को अपने साथ मिला लिया था, जिसमें कार्रवाई की गई।