शहर में महिलाओं के साथ छिनतई और अन्य अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. इस स्थिति से महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं और दिन-प्रतिदिन अपने घरों से बाहर निकलने में हिचकिचा रही हैं. खासकर ज्वेलरी पहनकर बाहर निकलने से महिलाएं बच रही हैं, क्योंकि छिनतई की घटनाएं बढ़ी हैं और अपराधियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाइयां असफल होती नजर आ रही हैं. इसी संदर्भ में महिलाओं की सुरक्षा, अपराधों पर नियंत्रण और महिलाओं के अधिकारों पर जागरूकता फैलाने के लिए दैनिक भास्कर के कार्यालय में एक टॉक शो आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं ने अपनी राय साझा की.
महिलाएं जागरूक हो रही हैं, आत्मविश्वास बढ़ा है: अनिता सिंह
साहित्य और सामाजिक कार्यों से जुड़ी अनिता सिंह का मानना है कि समय के साथ महिलाएं पहले से कहीं अधिक जागरूक हो चुकी हैं. उनका आत्मविश्वास बढ़ा है और वे अपराध के खिलाफ खुलकर मुकाबला कर रही हैं. पहले के मुकाबले महिलाएं अब शारीरिक और मानसिक रूप से काफी मजबूत हो गई हैं और घर के बाहर भी अपने कार्यों को संभाल रही हैं. समाज की मानसिकता में बदलाव आया है और महिलाएं अपनी शक्ति को पहचान रही हैं, जिससे वे अपराधियों के खिलाफ डटकर खड़ी हो रही हैं. अनिता सिंह के अनुसार, जागरूकता महिलाओं के लिए सबसे बड़ा हथियार है, जिससे वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं.
अपराध पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए: लक्ष्मी
लक्ष्मी, जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने शहर में महिलाओं के साथ हो रही छिनतई की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने महिलाओं में डर का माहौल बना दिया है. शहर में रोज़ाना ऐसी घटनाएं होती हैं और पुलिस प्रशासन की धीमी कार्रवाई अपराधियों के हौसले बुलंद कर रही है. लक्ष्मी ने जोर देकर कहा कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार के अपराध के मामलों में त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए. इससे न केवल अपराधियों में डर पैदा होगा, बल्कि महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और अपराधों की संख्या में कमी आएगी.
पुलिस प्रशासन से सहयोग की उम्मीद: अन्नू
अन्नू, जो सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई हैं, ने पुलिस प्रशासन के सहयोग की कमी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि महिलाओं पर घरेलू हिंसा से लेकर बाहरी अपराध, जैसे छिनतई की घटनाएं होती हैं, लेकिन पुलिस की तरफ से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता. महिलाएं जब पुलिस तक अपनी शिकायत लेकर पहुंचती हैं, तो उन्हें तुरंत राहत नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि जरूरत है कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करे और महिलाओं को न्याय दिलाने में तत्परता दिखाए. इससे महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढ़ेगी और वे अपने साथ होने वाले किसी भी प्रकार के अपराध के खिलाफ आवाज उठा सकेंगी.
सुरक्षा की शुरूआत घर से होनी चाहिए: विनिता राय
विनिता राय ने कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही पहल करनी होगी. अपराधी अक्सर महिलाओं को कमजोर समझते हैं और उनके खिलाफ अपराध करते हैं. इसलिए महिलाओं को खुद को मजबूत बनाना होगा और अपने अधिकारों के प्रति सजग होना पड़ेगा. पुलिस और प्रशासन का सहयोग जरूरी है, लेकिन सबसे पहले महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद आगे आना होगा. अगर महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक होंगी, तो अपराधियों के हौसले पस्त होंगे और महिलाओं पर होने वाले अपराधों में कमी आएगी.
कानून के प्रति जागरूकता की कमी: मोनालिसा
मोनालिसा, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने कहा कि महिलाओं में कानून के प्रति जागरूकता की कमी है. इस वजह से वे अपराध के शिकार होने के बाद भी न्याय की मांग नहीं कर पातीं. महिलाओं को अपने अधिकारों और कानून की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अपने साथ होने वाले किसी भी अन्याय का डटकर मुकाबला कर सकें. कानून की सही जानकारी न होने के कारण महिलाएं अक्सर चुप रहती हैं और अपराधी बिना किसी डर के अपराध करते रहते हैं. अगर महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी होगी, तो वे समय पर न्याय की मांग कर सकेंगी और अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा.
सही समय पर आवाज उठानी जरूरी: रंजना
रंजना, जो साहित्य और कला से जुड़ी हैं, ने कहा कि समय के साथ महिलाओं में समझदारी बढ़ी है, लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण वे अक्सर सही समय पर आवाज नहीं उठा पाती हैं. महिलाओं को अपनी समस्याओं पर बोलने में हिचकिचाना नहीं चाहिए. सही समय पर आवाज उठाने से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है और महिलाओं को न्याय मिल सकता है. इसके लिए महिलाओं को आत्मविश्वास और साहस के साथ खड़ा होना पड़ेगा.
महिलाओं को खुद ही लड़ाई लड़नी होगी: पूजा
पूजा ने कहा कि महिलाओं को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी. जब तक महिलाएं अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाएंगी, तब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. पूजा ने बताया कि अक्सर महिलाएं अपराध के बाद भी रिपोर्ट लिखाने के लिए पुलिस थाने तक नहीं जातीं. इस हिचक को तोड़ना बेहद जरूरी है. जब महिलाएं बिना किसी डर के अपनी शिकायत पुलिस तक पहुंचाएंगी, तभी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी. इसके अलावा, महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से भी खुद को मजबूत बनाना होगा, ताकि वे अपराधियों से मुकाबला कर सकें.
महिलाओं को हिचक छोड़नी होगी: प्रिया
प्रिया ने कहा कि अब समय बदल चुका है और महिलाओं को अपनी हिचक छोड़कर खुलकर सामने आना होगा. प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्थाओं में थोड़ा बदलाव आना जरूरी है, लेकिन सबसे पहले महिलाओं को खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे. पुलिस को भी महिलाओं की सुरक्षा के प्रति तत्पर रहना चाहिए, ताकि अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और महिलाओं में सुरक्षा की भावना बढ़े. प्रिया ने कहा कि अगर महिलाएं अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगी, तो उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा और अपराधों की संख्या में भी कमी आएगी.
जागरूकता की कमी एक बड़ी समस्या: शिखा चौधरी
शिखा चौधरी ने कहा कि महिलाओं में जागरूकता की कमी अपराधों का मुख्य कारण है. जब तक महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगी, तब तक अपराधियों का हौसला बुलंद रहेगा. महिलाओं को घर से बाहर निकलकर समाज में अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा. जब महिलाएं जागरूक होंगी, तो वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी और अपराधों के खिलाफ मजबूती से खड़ी होंगी.