रतन टाटा के निधन पर जमशेदपुर में शोक, उद्योग जगत समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि….

रतन टाटा के निधन पर देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके कार्यों, उनके नेतृत्व और उनके व्यक्तित्व ने न केवल उद्योग जगत बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में एक अमिट छाप छोड़ी है. आज टाटा समूह को जो ऊंचाई मिली है, उसमें रतन टाटा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उनके निधन पर जमशेदपुर के लोग भी बेहद भावुक हैं और उन्होंने रतन टाटा से जुड़ी यादों को ताजा किया.

सुमंत मूलगांवकर और सुमो गाड़ी का नामकरण

रतन टाटा ने 1990 के दशक की शुरुआत में टाटा मोटर्स द्वारा सुमो गाड़ी लॉन्च की थी. इसका नाम सुमंत मूलगांवकर के नाम पर रखा गया, जो उस समय टाटा मोटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. सुमंत मूलगांवकर ने टाटा मोटर्स के लिए पैसेंजर गाड़ी लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. रतन टाटा ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों और ट्रक ड्राइवरों से सड़क पर गाड़ियों की दिक्कतों को समझा और उसी के आधार पर टाटा मोटर्स ने सुमो को डिजाइन किया. यह वाहन कंपनी के लिए बेहद सफल रहा, और तीन साल के भीतर सुमो ने एक लाख से ज्यादा गाड़ियों की बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया था.

रतन टाटा की दूरदर्शिता और वीआरएस

टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह ने बताया कि रतन टाटा की दूरदर्शिता और मजदूर प्रेम ने ही वर्ष 1983 में देश में पहली बार वालंटियर रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) की शुरुआत की. इस स्कीम का उद्देश्य कर्मचारियों को सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्ति देने का था, और इसे बहुत सराहा गया. बाद में यह स्कीम पूरे देश में सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में लागू की गई. पीएन सिंह ने बताया कि रतन टाटा हमेशा कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देते थे और उनकी योजनाओं में मानवता की झलक दिखती थी.

टाटा स्टील और लागत कटौती का लक्ष्य

डॉ. टी मुखर्जी, टाटा स्टील के पूर्व डिप्टी एमडी, ने रतन टाटा के साथ काम करने के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि 1992 में टाटा स्टील के एजीएम के दौरान रतन टाटा ने कंपनी को हो रहे नुकसान को लेकर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कंपनी को 500 रुपये प्रति टन की लागत में कटौती का लक्ष्य दिया था, जिसे उन्होंने और उनकी टीम ने पूरा किया. रतन टाटा की मेहनत और समर्पण ने टाटा स्टील को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ स्टील कंपनियों में शामिल कर दिया.

कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति और वीआरएस योजना

टाटा समूह के कर्मचारियों के प्रति रतन टाटा का सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण सभी को प्रेरित करता रहा है. जब कंपनी की स्थिति कठिन दौर में थी, रतन टाटा ने कर्मचारियों के लिए एकमुश्त राशि देकर स्वेच्छा सेवानिवृत्ति (वीआरएस) योजना की शुरुआत की, जिससे कई कर्मचारियों को सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्ति मिली. यह योजना 1990 के दशक के ग्लोबलाइजेशन से पूर्व शुरू की गई, जब टाटा स्टील की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी. इसके बावजूद रतन टाटा ने कंपनी को मजबूत किया और इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.

यूनियन के सदस्यों से हमेशा संवाद

रतन टाटा का जमशेदपुर के कर्मचारियों और यूनियन के सदस्यों के साथ विशेष संबंध था. वे नियमित रूप से यूनियन के साथ संवाद करते थे और हर मुद्दे पर खुलकर बात करते थे. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने उद्योग जगत में नए मानदंड स्थापित किए. यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह ने याद किया कि कैसे रतन टाटा ने कंपनी के हर छोटे-बड़े फैसले में कर्मचारियों की राय का सम्मान किया.

रतन टाटा की विनम्रता और मानवता

डॉ. अजय कुमार, जमशेदपुर के पूर्व पुलिस अधीक्षक, ने बताया कि रतन टाटा ने हमेशा अपनी विनम्रता और मानवता के गुणों को सबसे ऊपर रखा. वे अपने सहकर्मियों और कर्मचारियों के प्रति बेहद सहानुभूतिपूर्ण थे. एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि रतन टाटा ने एक बीमार अधिकारी का सामान खुद उठाया और हवाई अड्डे पर उनकी मदद की. वे कभी भी दूसरों को अपना सामान उठाने नहीं देते थे, बल्कि खुद दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे.

रतन टाटा के प्रति श्रद्धांजलि

रतन टाटा के निधन पर विभिन्न संस्थाओं और संगठनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. आईएसडब्ल्यूपी वर्कर्स यूनियन (तार कंपनी यूनियन) ने उन्हें मानवता, नैतिकता और सद्भावना की मिसाल बताया. यूनियन के चेयरमैन राकेश्वर पांडे ने कहा कि रतन टाटा न केवल एक महान उद्योगपति थे, बल्कि वे मानवीय मूल्यों के प्रतीक थे. उनकी दरियादिली और परोपकार की भावना हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी.

एक युग का अंत

समाजसेवी और अन्य नेताओं ने भी रतन टाटा के निधन को एक युग के अंत के रूप में देखा. रवींद्र नाथ चौबे ने कहा कि रतन टाटा के जाने से टाटा उपाधि वाला नाम भी चला गया. वहीं, भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भरत सिंह ने कहा कि रतन टाटा का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है. वे एक महान उद्योगपति के साथ-साथ एक समाजसेवी भी थे. उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया.

अर्जुन मुंडा और अन्य नेताओं की श्रद्धांजलि

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने रतन टाटा को एक असाधारण इंसान बताया. उन्होंने कहा कि रतन टाटा का जाना उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. वहीं, भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अमरप्रीत सिंह काले ने कहा कि रतन टाटा ने अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी मानवता के प्रति प्रतिबद्धता और योगदान को हमेशा सराहा जाएगा.

टाटा को शहर से विशेष लगाव

हरि सिंह राजपूत, सामाजिक संस्था वॉइस ऑफ ह्यूमैनिटी के संस्थापक, ने बताया कि रतन टाटा को जमशेदपुर से विशेष लगाव था. वे हमेशा जमशेदपुर की समस्याओं को लेकर चिंतित रहते थे और शहर के विकास के लिए लगातार प्रयासरत रहते थे. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने जमशेदपुर को एक वैश्विक पहचान दिलाई.

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