Pehalgam: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया है। इस हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि झारखंड समेत पूरे देशवासियों को अंदर तक झकझोर दिया है। इस बीच झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने एक संवेदनशील और मानवीय कदम उठाते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे पहलगाम आतंकी हमले में शिकार हुए पीड़ित परिवारों की सहायता के लिए अपने चार महीने का वेतन दान करेंगे।
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डॉ. इरफान अंसारी ने एक बयान जारी करते हुए कहा,
“इस अमानवीय घटना ने मेरे दिल को गहरे तक आहत किया है। जब मैंने यह खबर सुनी, तो मैं खुद को रोक नहीं सका। पीड़ित परिवारों का दर्द मेरा अपना दर्द है। ऐसे समय में केवल संवेदना व्यक्त करना काफी नहीं है, बल्कि ठोस मदद की भी आवश्यकता है। इसीलिए मैंने तय किया है कि मैं अपने चार महीने का वेतन उन परिवारों की सहायता के लिए दूंगा, जिनका सब कुछ उजड़ गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह योगदान केवल एक शुरुआत है। यदि भविष्य में जरूरत पड़ी तो वे अन्य प्रकार की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहेंगे। मंत्री ने राज्य के अन्य नेताओं, संगठनों और आम नागरिकों से भी अपील की कि वे आगे आएं और पीड़ित परिवारों के पुनर्वास में अपना योगदान दें।
डॉ. अंसारी ने कहा,
“आतंकी हमले केवल कुछ परिवारों पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर आघात करते हैं। इस मुश्किल घड़ी में हम सभी का फर्ज बनता है कि मिलकर उनके घावों पर मरहम लगाएं। झारखंड सरकार पीड़ितों के साथ मजबूती से खड़ी है, और मैं व्यक्तिगत रूप से भी उनके साथ हूं।”
डॉ. इरफान अंसारी के इस फैसले की चारों ओर सराहना हो रही है। सोशल मीडिया पर भी लोग उनके इस कदम को एक सकारात्मक और प्रेरणादायक उदाहरण के तौर पर देख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मानवीय प्रयासों से न केवल पीड़ितों को आर्थिक मदद मिलती है, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक संबल भी प्राप्त होता है।
पीड़ित परिवारों के लिए सरकार द्वारा घोषित सहायता योजनाओं के अलावा, डॉ. अंसारी जैसे जनप्रतिनिधियों के व्यक्तिगत प्रयास इस कठिन समय में एक बड़ी राहत की तरह सामने आए हैं। इस बीच झारखंड सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि वह जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ मिलकर पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराएगी।
पहलगाम हमले ने देश के हर नागरिक को भीतर तक हिला दिया है, और डॉ. इरफान अंसारी का यह कदम दिखाता है कि संकट की घड़ी में संवेदनशीलता और इंसानियत ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।