झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 14 सितंबर को रांची के हरमू स्थित अखड़ा में करमा पूजा महोत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. केंद्रीय सरना समिति (भारत) के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय, कांके रोड, रांची में मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्हें इस महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण सौंपा.
क्या है करमा पूजा महोत्सव?
करमा पूजा झारखंड में प्रमुख आदिवासी त्योहारों में से एक है, जो भाई-बहन के प्रेम, समर्पण और प्रकृति की पूजा का प्रतीक है. इस महोत्सव को खासतौर पर आदिवासी समुदायों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. करमा पर्व प्रकृति के साथ गहरे संबंध और जीवन में हरियाली के महत्व को दर्शाता है. करमा वृक्ष को इस पर्व में विशेष महत्व दिया जाता है और इसे समृद्धि, खुशहाली और हरियाली का प्रतीक माना जाता है. इस बार करमा पूजा महोत्सव 14 सितंबर को रांची के हरमू स्थित अखड़ा में मनाया जाएगा. केंद्रीय सरना समिति (भारत) इस महोत्सव का आयोजन कर रही है. हर साल की तरह, इस बार भी आयोजन को भव्य और विशेष बनाने की तैयारियां की जा रही हैं. इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, जो पारंपरिक नृत्य, गीत, और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं.
सीएम हेमंत सोरेन को महोत्सव में आमंत्रण
केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर उन्हें इस महोत्सव में शामिल होने का निमंत्रण दिया. यह मुलाकात शनिवार को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में हुई. मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को करमा पूजा महोत्सव के महत्व और इसकी तैयारियों के बारे में जानकारी दी. मुख्यमंत्री को बताया गया कि इस साल का करमा पूजा महोत्सव हरमू के अखड़ा में विशेष रूप से आयोजित किया जा रहा है, जहां परंपरागत रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ कार्यक्रम का आयोजन होगा.
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन थे शामिल?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को करमा पूजा महोत्सव के लिए आमंत्रित करने वाले केंद्रीय सरना समिति (भारत) के प्रतिनिधिमंडल में कई प्रमुख लोग शामिल थे. इनमें केंद्रीय सरना समिति, भारत के अध्यक्ष नारायण उरांव, उपाध्यक्ष हेमन्त गाड़ी, संयुक्त सचिव पंकज टोप्पो, हरमू सरना समिति के अध्यक्ष विक्की कच्छप, केंद्रीय सदस्य लक्ष्मण तिर्की, और समिति के अन्य सदस्य जैसे आश्रिती कच्छप, निशि कच्छप, रिमीन कच्छप, अर्शिता उरांव, कोमल उरांव, संजय उरांव, अनमोल खलखो, जयश्री उरांव और प्रवीण उरांव शामिल थे. इन सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें करमा पूजा महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए आग्रह किया.
करमा पूजा का महत्व और उत्सव की तैयारियां
करमा पूजा महोत्सव झारखंड में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह त्योहार राज्य के आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के साथ-साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है. करमा पूजा के दौरान करम पेड़ की पूजा की जाती है, जो जीवन में हरियाली, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है. इस मौके पर लोग करम डाल लेकर नृत्य करते हैं, गीत गाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. इस वर्ष भी केंद्रीय सरना समिति (भारत) ने करमा पूजा महोत्सव को भव्य और खास बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. हरमू अखड़ा को सजाया जाएगा और यहां परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ करमा वृक्ष की पूजा की जाएगी. इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, और लोकगीतों की प्रस्तुति भी की जाएगी. महोत्सव में आदिवासी समुदाय के अलावा, अन्य लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं, जो आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हैं.
मुख्यमंत्री की उपस्थिति से महोत्सव को मिलेगी विशेष ऊर्जा
केंद्रीय सरना समिति के सदस्यों का मानना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति से इस महोत्सव को विशेष ऊर्जा और समर्थन मिलेगा. मुख्यमंत्री ने भी समिति के प्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि करमा पूजा झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे संजोकर रखना सभी का कर्तव्य है. मुख्यमंत्री के शामिल होने से यह संदेश जाएगा कि राज्य सरकार आदिवासी परंपराओं और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए प्रतिबद्ध है.