झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 665 प्राथमिक शिक्षकों के अंतर जिला ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी कर ली है. यह निर्णय राज्य स्तरीय स्थापना समिति की हालिया बैठक में लिया गया, जिसमें विशेष परिस्थितियों वाले शिक्षकों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है. इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षकों की कार्य स्थितियों को सुधारना और राज्य के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाना है.
मुख्य बिंदु:
शिक्षकों का वेतनमान: स्थानांतरण के बाद भी शिक्षकों को उनके पूर्ववर्ती वेतनमान का लाभ मिलता रहेगा. यह सुनिश्चित करेगा कि उनका वित्तीय हित प्रभावित न हो और वे अपने नए कार्यस्थल पर भी समान वेतन और सुविधाएं प्राप्त करें.
- 10 दिनों में योगदान: ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद शिक्षकों को 10 दिनों के भीतर अपने नए जिले में योगदान देने का निर्देश दिया गया है.यह समयसीमा शिक्षकों को नए स्कूलों में जल्दी से समायोजित होने और शिक्षण कार्य में सुचारू रूप से शामिल होने में मदद करेगी.
- विभागीय कार्यवाही: जिन शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है, उनका ट्रांसफर उनके मामलों के समाधान के बाद ही किया जाएगा.यह कदम विभागीय प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उठाया गया है और सुनिश्चित करता है कि किसी भी शिक्षक का स्थानांतरण बिना पूरी जांच के न हो.
- स्थानांतरण सूची: स्थानांतरण की सूची में अस्थायी या अनियमित सेवा वाले शिक्षकों के आदेश शामिल नहीं होंगे.केवल नियमित और स्थायी सेवाकर्मियों के ट्रांसफर आदेशों को ही लागू किया जाएगा, जिससे सुनिश्चित होगा कि ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत केवल योग्य और नियमित शिक्षक ही स्थानांतरित हों.
- जिला शिक्षा अधीक्षक: संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे 20 अगस्त तक शिक्षकों को उनके नए स्कूलों में पदस्थापित करें.यह समयसीमा यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षकों की नियुक्ति समय पर हो सके और वे अपने नए स्कूलों में जल्द से जल्द कार्यभार संभाल सकें.
अधिक जानकारी:
यह ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की गई है, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित की गई है. यह कदम झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और शिक्षकों के कार्यस्थलों पर संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है. विभाग का मानना है कि इस ट्रांसफर से शिक्षकों को नई चुनौतियों का सामना करने का अवसर मिलेगा और इससे राज्य की शिक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी और समृद्ध बनाया जा सकेगा. इस तरह के उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और स्थिरता बनी रहे, किए जा रहे हैं.