राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने राज्य के सभी डीआईजी, एसएसपी और एसपी को निर्देश दिया है कि वे ऐसे थाना प्रभारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो एफआईआर दर्ज नहीं करते और जनता के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. रविवार को जारी आदेश में डीजीपी ने स्पष्ट किया कि थानों में अनुशासनहीनता और जनता के प्रति दुर्व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने सभी जिलों को यह आदेश दिया कि थाना पहुंचे प्रत्येक व्यक्ति की शिकायत हर हाल में दर्ज होनी चाहिए. डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सभी डीआईजी और एसपी को लिखे गए पत्र में कहा कि उन्हें लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ थानों के प्रभारी, थानेदार, और मुंशी आम जनता की शिकायतें दर्ज करने से कतरा रहे हैं. एफआईआर दर्ज न करना और शिकायतकर्ताओं को उचित सेवा न देना एक गंभीर अपराध है. विशेष रूप से एससी-एसटी एक्ट, मानव तस्करी, साइबर क्राइम या महिला अपराधों से जुड़ी शिकायतों के मामले में यह देखा गया है कि जब लोग सामान्य थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचते हैं, तो उन्हें संबंधित थाने में जाने को कहा जाता है. यह एक गंभीर अनुशासनहीनता है और इसे कानून का उल्लंघन माना गया है.
नए कानून भारतीय न्याय संहिता में क्या है?
नए कानून भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है और बाद में यह एफआईआर संबंधित थाने को भेजी जा सकती है. डीजीपी ने इस बात पर जोर दिया कि कानून में स्पष्ट निर्देश हैं कि थाने पहुंचे व्यक्ति की शिकायत दर्ज करना अनिवार्य है. शिकायत लेने से मना करना या टालमटोल करना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है और इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा. डीजीपी ने निर्देश दिया है कि थानों में शिकायत कोषांग (कंप्लेंट सेल) को भी सक्रिय किया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की शिकायतें तत्काल दर्ज की जा सकें और उन पर त्वरित कार्रवाई की जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई थानेदार शिकायत दर्ज करने में आनाकानी करता है या जानबूझकर प्रक्रिया में देरी करता है, तो उसे तुरंत अपने पद से हटा दिया जाएगा. थाने में आने वाले हर व्यक्ति का सम्मान होना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान करने में तत्परता दिखानी चाहिए. इसके अतिरिक्त, डीजीपी ने यह भी बताया कि थानों में जनता के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें भी बढ़ती जा रही हैं. ऐसे मामलों में संबंधित थानेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी. डीजीपी का कहना है कि पुलिस का मूल कार्य जनता की सेवा करना है, और यदि थानेदार इस जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाते हैं, तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि वे थानों में अनुशासन बनाए रखें और यह सुनिश्चित करें कि हर शिकायतकर्ता की बात सुनी जाए और उसकी शिकायत दर्ज की जाए.
डीजीपी ने यह भी कहा:
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस विभाग की छवि को सुधारने के लिए यह आवश्यक है कि थानों में कार्यरत सभी पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाएं. जनता के साथ दुर्व्यवहार और शिकायतें न सुनने की घटनाएं पुलिस विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं और इससे जनता का विश्वास पुलिस पर से उठता है. डीजीपी ने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में सुधार नहीं हुआ तो और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश के साथ ही राज्य भर में सभी पुलिस थानों को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपनी कार्यशैली में सुधार लाएं और जनता की शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएं. थानों में शिकायतें दर्ज करने की प्रक्रिया को सुगम और सुलभ बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. पुलिस का कर्तव्य है कि वह आम लोगों की समस्याओं को समझे और उनका समाधान करे, न कि उनकी समस्याओं को और बढ़ाए.