रांची। राजधानी रांची में गुरुवार को आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद (Eastern Zonal Council) की 27वीं बैठक बिहार और झारखंड के लिए बेहद अहम साबित हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इंद्रपुरी जलाशय (Indrapuri Reservoir) के पानी बंटवारे को लेकर वर्षों से चला आ रहा विवाद सुलझ गया। बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और मंत्री विजय चौधरी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य समेत चारों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
इंद्रपुरी जलाशय विवाद पर बनी ऐतिहासिक सहमति
बैठक में दोनों राज्यों के बीच यह सहमति बनी कि इंद्रपुरी जलाशय से निकलने वाले 7.75 एमएफ पानी में से बिहार को 5.75 एमएफ और झारखंड को 2.0 एमएफ पानी मिलेगा। decades पुराने इस विवाद के सुलझने से बिहार और झारखंड में सिंचाई व पेयजल योजनाओं को नई गति मिलेगी।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “यह विवाद कई सालों से चला आ रहा था। गृह मंत्री अमित शाह की पहल से इसका समाधान निकला। बैठक बिहार के लिए बहुत लाभकारी रही।”
बिहार के मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि “पूर्वी परिषद ऐसा फोरम है, जहां राज्यों के बीच के विवाद को शांतिपूर्वक हल किया जाता है। इंद्रपुरी जलाशय पर बनी सहमति इसका बेहतरीन उदाहरण है।”
क्या है इंद्रपुरी जलाशय विवाद?
इंद्रपुरी जलाशय की परिकल्पना 1980 के दशक में कदवन जलाशय योजना के रूप में हुई थी, जिसे बाद में नया नाम मिला। 1987 से 2004 तक इसका डीपीआर विभिन्न कारणों से लंबित रहा। झारखंड-बिहार के बीच पानी के बंटवारे को लेकर आपत्ति बनी रही। इस योजना के निर्माण से बिहार के मध्य और दक्षिण क्षेत्रों के साथ-साथ झारखंड में भी सिंचाई सुविधा बेहतर होगी।
बंगाल सीमा पर बॉर्डर फेंस का मुद्दा भी उठा
बैठक में पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा fencing का मुद्दा भी छाया रहा। बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि “BSF की जमीन पर तेजी से काम किया जा रहा है। कुछ इलाकों में जमीन संकरी है, इसलिए थोड़ी देरी हो रही है, लेकिन जल्द समाधान निकाला जाएगा।”