पत्थर माफियाओं का घने जंगलों में कब्ज़ा, अवैध काम को दिया जा रहा है अंजाम

पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत झारखंड एवं पश्चिम बंगाल राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र से सटे सुदूरवर्ती दामपाड़ा मौजे में अवस्थित पहाड़ो के घने जंगलो में पत्थर माफियाओं का कब्ज़ा है। कुछ इसी प्रकार परिदृश्य उजागर हो रही है। आज कल कांड़ाडुबा पंचायत स्थित अंतिम छोर पर बसा कानिमहुली गांव और कई पडोसी गाँव जहाँ प्रकृति की सुंदरता के अलावा अकूत संपदाओं से परिपूर्ण है। सीमावर्ती क्षेत्र के ही बिलकुल नज़दीक में जंगलों के सफ़ेद पत्थरों के अवैध कारोबारियों और पडोसी राज्य के बाज़ारों में मांग में बढ़ोतरी की वजह से यहाँ के कुछ स्थानीय नामचीन माफियाओं का वर्चस्व्य बुलंद है।

सिर्फ यही नहीं, उन माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से ट्रैक्टरों की मदद से पडोसी राज्य पश्चिम बंगाल में बेचने का काम बिना किसी खौफ के किया जा रहा है। यह काम वे रात के अँधेरे में करते हैं। इसी वजह से हर दूसरे दिन, वन विभाग और प्रशासन की दबिश से निडर होकर पत्थर माफियाओं के साथ महेशडुबा, आसना, पुनगोड़ा, चापड़ी, एदेलबेड़ा, डाईमारी, बासाडेरा, झांटीझरणा समेत विभिन्न ग्रामीण इलाकों में बसवास कर रहे रोजगार की परेशानियों से परेशान हुए गरीबों को रोज़गार के साथ चंद पैसो का लोभ देकर वन अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। प्रकृति को हानि पहुँचाने के साथ-साथ अवैध खनन भी किया जा रहा है।

यह क्रम यूँही जारी है। हर वर्ष सीमांकित वन भूमि क्षेत्र से करोड़ों रुपयों के पत्थरों की कालाबाजारी को माफियाओं के द्वारा छिप कर अंजाम दिया जा रहा है। इस विषय में रेंजर दिनेश सिंह ने बताया है कि पत्थरों के अवैध खनन की वन विभाग को कोई भी जानकारी नहीं थी। अब इसके लिए वन विभाग की ओर से एक टीम बनाई जाएगी, जिसके द्वारा पत्थर माफियाओं को पकड़ कर विभागीय कारवाई स्तर पर आवश्यक कारवाई किया जाएगा।

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