झारखंड के वो IAS ऑफिसर जो मोदी सरकार को चला रहे हैं..

देश को सतत उन्नति के पथ पर दौड़ाने में आईएएस अफसरों का बहुत बड़ा योगदान होता है और झारखण्ड के आईएएस अधिकारी इसमें किसी से पीछे नहीं हैं।जानिए झारखण्ड कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जो केंद्र की मोदी सरकार चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

झारखण्ड के वरिष्ठतम आईएएस अधिकारियों में से एक, अमित खरे को दशकों बाद बदले गए अवांछित शिक्षा नीति का प्रणेता माना जाता है। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1985 बैच के अधिकारी हैं। केंद्र सरकार में शिक्षा मंत्रालय व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय उनके अधीन है। वर्तमान समय में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने दूरदर्शन का विस्तार किया और झारखण्ड सहित दर्जन भर राज्यों को डीडी फ्री डिश मंच पर लाने का काम किया। उनकी उपलब्धियों की सूची में अविभाजित बिहार-झारखंड में चल रहे चारा घोटाले का भंडाफोड़ करना उल्लेखनीय है। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त रहते हुए उन्होंने डायन-बिसाही कुप्रथा व अंधविश्वास पर अंकुश लगाने हेतु कड़ा कानून बनवाने में सफलता हासिल की। उन्हीं के नेतृत्व में गोवा में 2018 में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन भी हुआ।

1982 बैच के आइएएस अधिकारी राजीव गौबा 2015 से लगभग एक वर्ष तक झारखंड के मुख्य सचिव के पद पर रहे और नक्सल गतिविधियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय में सचिव पद पर रहे और वर्तमान में केंद्र में कैबिनेट सचिव के पद पर नियुक्त हैं। जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार प्रदान करने वाली धारा-370 को हटाए जाने के उपरांत उन्होंने यह पदभार ग्रहण किया था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा निधि (आईएमएफ) में प्रतिनियुक्ति पर रह कर काम कर चुके राजीव गौबा पटना विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक हैं।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में सचिव के पद पर पदस्थापित 1987 बैच के झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी नागेंद्र नाथ सिन्हा इसी कड़ी में एक और प्रभावशाली नाम हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) एवं राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम(एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक रहते हुए केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी भारतमाला प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने का श्रेय उन्हें ही जाता है। ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन की बात हो या देश में सड़कों के सुदूरवर्ती इलाकों तक विस्तारित करने की बात हो उन्होंने सभी योजनाओं को बेहतरीन ढंग से अमलीजामा पहनाया है। बिहार-झारखंड में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे नागेंद्र नाथ सिन्हा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से स्नातक हैं।

कोरोना काल में जरूरी वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण एवं उपभोक्ता अधिकार की रक्षा के मामले में झारखण्ड कैडर की आईएएस अधिकारी निधि खरे ने तत्परता से फैसले ले कर अपना लोहा मनवाया। वे 1992 बैच की आइएएस अधिकारी हैं और केंद्र में उपभोक्ता मामले विभाग में अतिरिक्त सचिव पद पर नियुक्त हैं। बिहार-झारखंड में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहीं निधि खरे गृहमंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर भी रह चुकी हैं।