एमजीएम में जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल, पुलिस की मौजूदगी में प्रबंधन ने चलवाया ओपीडी….

एमजीएम अस्पताल में पहली बार जूनियर डॉक्टरों की भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन के बावजूद ओपीडी सेवाएं जारी रखी गईं. हालांकि, मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. मंगलवार सुबह जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा को बाधित करते हुए रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद करा दिया था, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की पहल और पुलिस की मौजूदगी में ओपीडी में मरीजों का इलाज कराया गया. दोपहर 12 बजे तक अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित रहीं. इस दौरान 200 से अधिक मरीज बिना इलाज के ही वापस चले गए. हालांकि, दोपहर के बाद स्थिति में कुछ सुधार हुआ. अस्पताल अधीक्षक डॉ. शिखा रानी ने खुद मोर्चा संभालते हुए सीनियर डॉक्टरों को ओपीडी में बैठाया. दोपहर 12 बजे से ओपीडी में सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखना शुरू किया और फिर एक बजे लंच के लिए चले गए. वापस तीन बजे आने के बाद, उन्होंने मरीजों का इलाज दोबारा शुरू किया. मंगलवार को ओपीडी में कुल 693 मरीजों और इमरजेंसी में 212 मरीजों का इलाज हुआ. आम दिनों में ओपीडी में करीब 1200 मरीज और इमरजेंसी में 100 मरीजों का इलाज होता है.

108 एंबुलेंस चालकों की हड़ताल ने भी बढ़ाई परेशानी

सिर्फ डॉक्टरों की हड़ताल ही नहीं, 108 एंबुलेंस चालकों की हड़ताल ने भी मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दीं. कोलकाता में मेडिकल कॉलेज की जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के विरोध में कोलकाता के डॉक्टर भूख हड़ताल पर हैं, जिसके समर्थन में एमजीएम के जूनियर डॉक्टरों ने भी मंगलवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक धरना दिया. डॉक्टरों का कहना है कि इस गंभीर अपराध के दोषियों के खिलाफ अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे वे बेहद नाराज हैं.

अधीक्षक डॉ. शिखा रानी की तत्परता

अस्पताल अधीक्षक डॉ. शिखा रानी ने इस विकट स्थिति में खुद जिम्मेदारी संभाली और मरीजों को इलाज दिलाने के लिए भरपूर प्रयास किए. उन्होंने अस्पताल परिसर में ही बैठकर मरीजों की पर्चियां बनवाने का काम किया और डॉक्टरों से मरीजों को दिखवाने का निर्देश दिया. दोपहर 12 बजे पुलिस के सहयोग से अस्पताल के सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर को खुलवाया गया, जिसके बाद लगातार शाम 5 बजे तक मरीजों की पर्चियां बनती रहीं. अस्पताल के इमरजेंसी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर भी मरीजों की लंबी कतारें लगी रहीं. इमरजेंसी सेवाओं में भी अधिक भीड़ थी, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी हुई.

दो मामलों से समझिए मरीजों की परेशानी

• केस 1: सोनारी की निवासी देवंती देवी अपने पति रघु ठाकुर का इलाज कराने के लिए सुबह साढ़े आठ बजे एमजीएम अस्पताल पहुंचीं. उनके पति की हालत गंभीर थी, लेकिन रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद होने के कारण उनकी पर्ची नहीं बन पाई. परेशान देवंती देवी ने अस्पताल परिसर में ही रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलने का इंतजार किया. दोपहर में जब काउंटर खुला, तब जाकर उनके पति का इलाज हो सका.

• केस 2: सोनारी के 70 वर्षीय रामचंद्र प्रसाद पैर की तकलीफ से पीड़ित थे और इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल आए थे. ओपीडी बंद होने की जानकारी होने पर वे परेशान हो गए और इमरजेंसी में पहुंचे. वहां डॉक्टरों ने उन्हें पर्ची बनवाने को कहा, लेकिन रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद था. वे इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन किसी तरह दोपहर में पुलिस की मदद से रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलने पर उनका इलाज हो सका.

आईएमए का समर्थन

इस दौरान, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. जीसी मांझी और सचिव डॉ. सौरभ चौधरी ने एमजीएम अस्पताल पहुंचकर भूख हड़ताल और धरना दे रहे जूनियर डॉक्टरों से मुलाकात की और उनकी स्थिति की जानकारी ली. आईएमए नेशनल के निर्देश पर इस हड़ताल का समर्थन किया जा रहा है. आईएमए और आईएमए जेडीएम के समर्थन के बावजूद, सीनियर डॉक्टरों ने स्थिति को संभालते हुए ओपीडी सेवाएं जारी रखीं. एमजीएम में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण चिकित्सा सेवाओं में काफी अव्यवस्था रही, लेकिन प्रबंधन और पुलिस की मुस्तैदी से स्थिति को नियंत्रित किया गया और धीरे-धीरे सेवाएं बहाल की गईं.

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