डीपीएस बोकारो के छात्र रहे हिमांशु ने UPSC में हासिल किया 224वां रैंक….

झारखंड के डीपीएस बोकारो स्टील सिटी से 2015 में इंटरमीडिएट की डिग्री प्राप्त कर चुके हिमांशु कुमार ने कमाल कर दिया. उन्होंने यूपीएसी की परीक्षा में 224वां रैंक प्राप्त पूरे समाज के लिए एक उदाहरण स्थापित किया, “जहां चाह वहां राह”. असल में हिमांशु मूलत बिहार के बिंद प्रखंड के उतरथु गांव के रहने वाले हैं और बहुत ही साधारण परिवार से ताल्लुकात रखते हैं. छोटे से परिवार में पैदा हुए हिमांशु ने यूपीएससी द्वारा आयोजित एग्जाम में 224 वां रैक हासिल कर श्रम प्रवर्तन अधिकारी के पद पर चयनित हुए हैं . बता दें की हिमांशु की प्राथमिक शिक्षा नालंदा विधा मंदिर पतासंग से 2013 में पूरी हुई जिसके बाद उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो स्टील सिटी से 2015 में इंटर किया. वहीं, उन्होंने अपने उच्च शिक्षा की प्राप्ति आईआईटी बॉम्बे से की.

उतरथु गांव के साधारण परिवार में जन्मे हिमांशु..

साधारण परिवार में जन्मे हिमांशु अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं. इनके बड़े भाई “ज्ञानदीप कुमार उर्फ बंटी” बिंद प्रखंड युवा जदयू अध्यक्ष हैं. वहीं मंझले भाई सुधांशु कुमार एचपीसीएल मुंबई में इंजीनियर पद पर कार्यरत हैं. बता दें कि, हिमांशु के पिता का देहांत 1999 में हुआ जिसके बाद उनकी मां ने बहुत मुश्किल व जद्दोजेहद से अपने बच्चों को पढ़ाया और आज के समय में मां “विमला देवी” सुगम नारी शक्ति महिला स्वावलंबी सहकारी समिति बिंद की अध्यक्ष है.

हिमांशु की सफलता से उतरथु गांव में खुशी की लहर

बड़े भाई “ज्ञानदीप कुमार उर्फ बंटी” बिंद प्रखंड युवा जदयू अध्यक्ष कहते हैं कि, उन्हें गर्व है कि हिमांशु उनके भाई हैं, हिमांशु ने ना केवल घरवालों का बल्कि पूरे गांव-समाज और प्रखंड का नाम रौशन किया है. ज्ञानदीप आगे कहते हैं कि, वो चाहते हैं उनके भाई हिमांशु यूं ही कामयाबी की बुलंदियों को छूते रहें और यूं ही अपना और अपने देश का नाम करे. वहीं बेटे की इस बेहतरीन सफलता पर मां “विमला देवी” की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है, वो कहती हैं कि, उन्हें अपने बेटे हिमांशु पर हमेशा से ही एक दृढ़ विश्वास था कि वो आगे चलकर अपने जीवन में ढेरों सफलता हासिल करेंगे और घर-परिवार का नाम रौशन करेंगे. वो नाज करती हैं कि, हिमांशु उनके बेटे हैं और एक साधारण से परिवार में पले बढ़े होने के बावजूद कम सुविधाओं में भी अपने पूरे समाज में सफलता की लौ जलाकर पूरे क्षेत्र वासियों के लिए मिसाल बने. वो कहती हैं कि आज हिमांशु के पिता होते तो आज बहुत खुश होते पर, आज वो जहां भी होंगे उन्हें अपने बेटे हिमांशु पर फक्र होगा और हम सब बेटे की इस सफलता से बेहद खुश और भावुक हैं.

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