पलामू कॉलेज परिसर में दिखे हिमालयन उल्लू: वन विभाग ने किया सफल रेस्क्यू…..

पलामू जिले के एक कॉलेज में मंगलवार को दुर्लभ हिमालयन उल्लू देखे गए, जिसे लेकर क्षेत्र में उत्सुकता और चर्चा का माहौल बन गया. यह घटना पांकी प्रखंड स्थित डंडार इलाके की है, जहां स्थानीय मजदूर, किसान और कॉलेज के शिक्षक परिसर में एक अलग प्रकार के उल्लू को देख कर हैरान रह गए. पक्षी की पहचान न हो पाने के कारण उन्होंने वन विभाग को तुरंत सूचना दी. वन विभाग के कुंदरी वनक्षेत्र पदाधिकारी महेंद्र प्रसाद और वनरक्षी दीनानाथ शर्मा मौके पर पहुंचे और कॉलेज के शिक्षकों के सहयोग से उल्लू का सफल रेस्क्यू किया. यह दुर्लभ पक्षी अब पलामू टाइगर रिजर्व को सौंपा जाएगा, जहां उनकी देखभाल की जाएगी.

कॉलेज परिसर में दिखे दुर्लभ पक्षी

कॉलेज के शिक्षकों ने कैंपस में दो उल्लू को उड़ते हुए देखा. उनका रंग-रूप और आकार सामान्य उल्लुओं से बिल्कुल अलग था. पक्षी के व्यवहार और उपस्थिति ने शिक्षकों और स्थानीय लोगों को चौंका दिया. लोगों का कहना था कि उन्होंने ऐसा उल्लू पहले कभी नहीं देखा था.

हिमालयन उल्लू होने की संभावना

रेस्क्यू के बाद वन कर्मियों ने बताया कि उल्लुओं की शारीरिक संरचना से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये हिमालयन उल्लू हैं, जो ठंडे प्रदेशों में पाए जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह संभावना है कि ये पक्षी किसी कारणवश पलामू जिले में भटककर आ गए होंगे. वन विभाग के कर्मियों ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने पहली बार इस तरह के दुर्लभ उल्लुओं को देखा है.

स्थानीय और बाहरी उल्लुओं में अंतर

वन विभाग ने यह भी बताया कि इन पक्षियों की बनावट और रंग-रूप स्थानीय उल्लुओं से काफी अलग है. हिमालयन उल्लू आमतौर पर ऊंचाई वाले ठंडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि पलामू जैसी जगहों पर इनका दिखना असामान्य है. इन पक्षियों के रेस्क्यू से क्षेत्र के पक्षी प्रेमियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के बीच उत्सुकता बढ़ गई है.

पलामू टाइगर रिजर्व को सौंपा जाएगा

रेस्क्यू किए गए उल्लुओं को जल्द ही पलामू टाइगर रिजर्व ले जाया जाएगा. वहां उन्हें प्राकृतिक वातावरण और उचित देखभाल मिलेगी. वन विभाग का कहना है कि इन पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.

दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण जरूरी

यह घटना केवल एक पक्षी रेस्क्यू तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें वन्यजीव संरक्षण के महत्व की याद दिलाती है. हिमालयन उल्लू जैसी दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि जैव विविधता बनाए रखने में भी सहायक है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×