झारखंड राज्य में मच्छरों का आतंक बढ़ता जा रहा है. राज्य के 21 जिलों में डेंगू, 20 जिलों में चिकनगुनिया और 14 जिलों में जापानी बुखार (जापानी इंसेफेलाइटिस) के मामले सामने आ चुके हैं. अगस्त तक, राज्य में जेई के 28, चिकनगुनिया के 168 और डेंगू के 419 मरीज पाए गए हैं. मई तक, राज्य में 20 जिलों में डेंगू के 99, 17 जिलों में चिकनगुनिया के 62 और 12 जिलों में जापानी बुखार के 22 मामले मिले थे। विशेष रूप से डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है. मई में डेंगू के केवल 4 मामले थे, जो जुलाई में बढ़कर 89 और अगस्त में 218 हो गए.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की गाइडलाइन्स और जमीनी हकीकत:
मच्छर रोधी उपायों की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है. जुलाई में ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अभियान निदेशक ने सभी सिविल सर्जनों को मच्छरों के खिलाफ विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों के तहत सिविल सर्जनों को अपने जिलों के वीबीडी (वेक्टर बॉर्न डिजीज) विभाग से समन्वय स्थापित कर क्षेत्र में लार्वा डेंसिटी सर्वे करवाने के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, जमीनी स्तर पर मच्छर रोधी उपाय सीमित हैं. मच्छरों के आतंक के मामले में रांची सबसे ऊपर है. राज्य में चिकनगुनिया के कुल 168 मरीजों में से 47% (79), डेंगू के 419 मरीजों में से 28% (116) और जापानी इंसेफेलाइटिस के 28 मरीजों में से 25% (7) रांची में ही पाए गए हैं. रांची के बाद पूर्वी सिंहभूम और खूंटी में डेंगू के मरीजों की संख्या क्रमशः 66 और 57 है. अन्य जिलों में मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जैसे पश्चिमी सिंहभूम और साहेबगंज में 24-24, गिरिडीह में 18, हजारीबाग में 16, सरायकेला में 15, और पलामू में 12 मरीज मिले हैं। पाकुड़, जामताड़ा और गोड्डा में अभी तक डेंगू का कोई मामला सामने नहीं आया है.
चिकनगुनिया और जापानी बुखार की स्थिति:
चिकनगुनिया के मामले में, रांची के बाद रामगढ़ में 16, गिरिडीह में 11, पलामू में 9, पूर्वी सिंहभूम में 8, खूंटी और चतरा में 5-5 मामले दर्ज किए गए हैं. अन्य जिलों में मरीजों की संख्या पांच से कम है. जापानी इंसेफेलाइटिस के रांची में 7, धनबाद में 4, बोकारो, खूंटी, पलामू, रामगढ़ और सरायकेला में 2-2, जबकि गढ़वा, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, साहेबगंज और पश्चिमी सिंहभूम में 1-1 मरीज मिले हैं. राज्य के 10 जिलों में अभी तक जापानी बुखार का कोई मामला सामने नहीं आया है.
मच्छर रोधी उपायों की कमी:
राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों के साथ ही राजधानी रांची में भी मच्छर रोधी उपाय पर्याप्त नहीं हैं. फॉगिंग और मच्छर रोधी छिड़काव केवल वीआईपी इलाकों तक सीमित है. राजधानी के अधिकांश इलाकों में फॉगिंग नहीं की जा रही है. हरिहर सिंह रोड स्थित पुष्प विहार के वृंदावन वाटिका निवासी भूपेंद्र प्रसाद के अनुसार, उनके इलाके में कभी फॉगिंग नहीं की गई. कोविड काल में छिड़काव हुआ करता था, लेकिन उसके बाद से यह भी बंद है. यही स्थिति अधिकांश क्षेत्रों की है. रांची के अधिकांश अपार्टमेंट के बेसमेंट में पानी जमा रहता है, लेकिन नगर निगम की ओर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है.
राज्य भर में आंकड़ों की स्थिति:
जनवरी से लेकर अगस्त तक की स्थिति की बात करें तो, राज्य में डेंगू के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है. जनवरी में केवल 5 मरीज थे, जो अगस्त तक बढ़कर 218 हो गए. इसी प्रकार, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. राज्य के अधिकांश जिलों में मच्छरों के प्रकोप के चलते जनस्वास्थ्य पर खतरा बढ़ता जा रहा है.