हाईकोर्ट में आपराधिक मामले दायर करने के लिए दिए जाने वाले शपथपत्र की वैद्यता अब बढ़ाकर 21 दिनों तक कर दी गई है। ऐसे मामले कोर्ट में दायर करने के लिए पहले पैरवीकार को एक शपथपत्र दाखिल करना पड़ता है। शपथपत्र के माध्यम से संबंधित व्यक्ति की पूरी जानकारी रखने की बात कहता है। अब तक के नियम अनुसार पैरवीकार द्वारा शपथपत्र दाखिल किए जाने के सात दिनों के अंदर ही याचिका दायर की जा सकती है।
इस शपथपत्र की वैद्यता सात दिनों की अवधि पार होने के बाद समाप्त हो जाती थी। हाईकोर्ट रूल को शिथिल करते हुए अब इसकी वैद्यता 21 दिनों तक कर दी गयी है। ये प्रावधान 31 अक्तूबर तक के लिए किया गया है।
आपराधिक मामलों के पैरवीकार को शपथपत्र दाखिल करने हेतु हाईकोर्ट जाना होगा, जहां उसे अपना शपथ, ओथ कमिश्नर के समक्ष ही करना जरूरी कर दिया गया है। साथ ही पैरवीकार को अपना आधार कार्ड और पहचान पत्र भी ले जाना होगा।
वहीं, हाईकोर्ट में ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन याचिका दायर करने की छूट प्रदान की गयी है। इसके लिए ड्रॉप बॉक्स बनाए गए हैं। ऑफलाइन याचिका दायर करने के 48 घंटे बाद ड्राप बॉक्स से उसे निकाला जाता है। ये भी एक मुख्य कारण था जिससे सात दिनों का समय दिए जाने से वकीलों और मुवक्किलों को परेशानी होती थी।
बता दें कि, झारखंड हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए चीफ जस्टिस से आपराधिक मामलों में शपथपत्र की वैधता सात दिनों से बढ़ाने का आग्रह किया था। इसपर हाईकोर्ट ने सहमति जतायी और प्रावधान लागू किया गया।
शपथपत्र की वैद्यता की अवधि बढ़ने से आपराधिक मामले फाइल करने में तेजी आएगी। इससे मामलों का निष्पादन भी तेजी से होगा। जो भी पुराने लंबित मामले हैं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाएंगे और नए के साथ पुराने दोनों मामलों का निष्पादन होगा।