झारखंड हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए मंईयां सम्मान योजना पर अब तक खर्च की गई राशि की विस्तृत जानकारी मांगी है। जस्टिस आनंदा सेन की अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस योजना के तहत कितने लोगों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से भुगतान किया गया है और इस पर अब तक कितनी राशि खर्च की गई है। अदालत ने राज्य की मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।
लाइब्रेरियन के बकाए का मामला
यह मामला रतन देवी द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। याचिका में कहा गया है कि उनके पति, राजशेखर तिवारी, चतरा जिले में लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 1999 से 2022 तक उन्हें वेतन भुगतान नहीं किया गया, जिसका कुल बकाया करीब 18.68 लाख रुपये है।
चतरा जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी अपने शपथ पत्र में यह स्वीकार किया कि यह राशि बकाया है, लेकिन सरकार से इस राशि का आवंटन नहीं हुआ है। प्रार्थी के वकील ने अदालत को बताया कि जहां सरकार जरूरतमंदों के बकाए का भुगतान नहीं कर पा रही है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त में राशि बांटी जा रही है।
मंईयां सम्मान योजना पर सरकार से सवाल
अदालत ने मंईयां सम्मान योजना और अन्य योजनाओं के तहत वितरित की गई राशि का पूरा ब्यौरा मांगा है। अदालत ने यह जानना चाहा कि इन योजनाओं के तहत कितने लोगों को लाभ पहुंचाया गया और इसके लिए कितना धन खर्च किया गया।
यह मामला राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन और प्राथमिकताओं को लेकर सवाल खड़े करता है। अदालत ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी योजनाओं के तहत वितरित धनराशि का पूरा लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए।
अगली सुनवाई 6 फरवरी को
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को तय की है और मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दाखिल कर अदालत को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएं। यह मामला सरकार की नीतियों और वित्तीय पारदर्शिता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े करता है, जिसका समाधान अदालत की निगरानी में किया जा रहा है।