पलामू: 2025 की होली बेहद खास होने वाली है, क्योंकि इस बार हर्बल होली की तैयारियां जोरों पर हैं। प्राकृतिक चीजों से तैयार हर्बल गुलाल और रंगों की मांग इस साल काफी बढ़ गई है।
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हर्बल रंगों को पलाश, गेंदा, चुकंदर, आरारोट और हल्दी जैसी प्राकृतिक सामग्रियों से तैयार किया जा रहा है। इन रंगों को बनाने का कार्य महिलाओं की एक टीम कर रही है। अब तक चार क्विंटल हर्बल रंग और गुलाल तैयार किया जा चुका है और होली तक आठ क्विंटल उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इन हर्बल रंगों को रांची, गढ़वा समेत बिहार के कई इलाकों में भी भेजा जा रहा है।
2024 में झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी द्वारा हर्बल रंगों और गुलाल का निर्माण किया गया था। उनकी गुणवत्ता को देखते हुए 2025 में इसकी मांग में भारी वृद्धि हुई है। हर्बल रंग त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते, इसलिए लोग इन्हें पारंपरिक रासायनिक रंगों की जगह तेजी से अपना रहे हैं।