हेमंत सरकार ने किया 3 मेडिकल कॉलेजों पर NMC के प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध..

राज्य के गरीब, पिछड़े, और आदिवासी समुदाय के छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) द्वारा झारखंड राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2020-21 पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध किया है। आयोग ने राज्य के नवनिर्मित हज़ारीबाग़ ,पलामू और दुमका मेडिकल कॉलेज में नए सत्र के नामांकन पर रोक लगाई है।

गौरतलब है कि, राज्य में ये तीनों मेडिकल कॉलेज रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में स्थापित किए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इन कॉलेजों का उद्धघाटन किया था। लेकिन, खराब बुनियादी ढांचे और फैकल्टी की कमी के कारण एनएमसी ने इन कॉलेजों में मौजूदा सत्र से आगे कोई एडमिशन नहीं लेने के लिए कहा है।

उधर, आयोग के इस फैसले के बाद विपक्षी दल – भाजपा ने हेमंत सोरेन पर रघुबर सरकार द्वारा बनाई गई शैक्षणिक संपत्ति को ठीक रखने में असमर्थ होने का आरोप लगाया है।

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के परिणाम के साथ पूरे देश में सत्र 2020-21 में MBBS के लिए एडमिशन शुरू करने की घोषणा हो गई है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एनएमसी के अध्यक्ष सुरेश चंद्र शर्मा से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने नवंबर के अंत तक तीनों मेडिकल कॉलेजों से जुड़ी सारी समस्या को हल करने का वादा किया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी एक पत्र में, हेमंत सोरेन ने एनएमसी के फैसले को बेहद हैरान करने वाला बताया है। एनएमसी अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि कोरोना संकट की वजह से भवन ,आधार भूत संरचना और उपकरणों के स्थापना का कार्य अधूरा रह गया था। ये सब प्राथमिकता के आधार पर अब पूरा कर दिया जायेगा। राज्य सरकार, चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए आयोग द्वारा तय नियम व मापदंडों को पूरा करने के लिए कृत संकल्पित है तथा जल्दी ही आयोग द्वारा निर्दिष्ट किये गए कमियों को दूर कर लिया जायेगा। इसके अलावा, सीनियर रेसीडेंट ,जूनियर रेसीडेंट और पारा मेडिकल कर्मियों की रिक्तियों को 30 नवंबर तक भरने का भी भरोसा मुख्यमंत्री ने आयोग को दिया है। इसके साथ ही पत्र में ये भी जोड़ा गया है कि तीनों मेडिकल कॉलेज पिछड़े जिलों में अवस्थित हैं, जिसकी वजह से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने में दिक्कतें हो रही हैं। योग्य उम्मीदवारों को इन क्षेत्रों में कार्य करने में दिलचस्पी नहीं है। मुख्यमंत्री ने झारखंड राज्य के गरीब ,पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्र होने का हवाला देते हुए नए सत्र 2020-21 में छात्रों को एडमिशन देने की अपील आयोग के अध्यक्ष से की है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि “ केंद्रीय प्रायोजित योजना के पहले चरण के तहत, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुमका, हजारीबाग और पलामू में तीन नए मेडिकल कॉलेजों के लिए जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने हेतु 340 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। राज्य सरकार ने भी तुरंत अपने हिस्से के 392.88 करोड़ रुपये जारी किए थे। प्रत्येक कॉलेज का भवन निर्माण कार्य पिछले वर्ष समाप्त हुआ था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनका उद्घाटन किया था। इसके बाद प्रत्येक कॉलेज में 2019-20 के सत्र में 100 सीटों पर प्रवेश लिए गए थे। हालांकि, एनएमसी ने अब कुछ संकाय और बुनियादी ढांचे की कमियों के आधार पर आगे प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे गरीब, पिछड़े और आदिवासी वर्ग के प्रतिभाशाली छात्रों को झटका लगा है। ”

मुख्यमंत्री ने कहा कि “मैं अनुरोध और आशा करता हूं कि एनएमसी इन मेडिकल कॉलेजों, जो कि नीति आयोग द्वारा आकांक्षा के रूप में पहचाने गए जिलों में आते हैं, में प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध के अपने फैसले को वापस ले लेगा”।

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