हेमंत के पास बहुमत का मजबूत आंकड़ा, आसानी से सदन में हासिल करेंगे विश्वास..

झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार बनी है. तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन को अब एक सप्ताह के भीतर विश्वासमत हासिल करना है. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने निर्देश दिया है कि नयी सरकार को एक सप्ताह के अंदर सदन का विश्वास प्राप्त करना होगा. संभावित रूप से सोमवार तक फ्लोर टेस्ट हो सकता है.

झारखंड विधानसभा की स्थिति
वर्तमान में झारखंड विधानसभा में कुल 77 विधायक हैं. इस बार सदन में 5 विधायक अनुपस्थित रहेंगे. इनमें से 4 विधायक लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं और एक विधायक झामुमो की सीता सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया था. इसलिए, वर्तमान विधानसभा में बहुमत के लिए 39 विधायकों का समर्थन आवश्यक है.

इंडिया गठबंधन का समर्थन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार को इंडिया गठबंधन का मजबूत समर्थन प्राप्त है. झारखंड विधानसभा में इंडिया गठबंधन के पास 47 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए पर्याप्त हैं. इस गणना में मनोनीत विधायक ग्लेन जोसेफ गॉलस्टन भी शामिल हैं, जो हेमंत सोरेन सरकार का समर्थन करेंगे. दूसरी ओर, एनडीए के पास फिलहाल केवल 27 विधायकों का समर्थन है.

जेपी पटेल का समर्थन
हालांकि भाजपा विधायक जेपी पटेल सदन में विरोधी पक्ष में बैठेंगे, लेकिन उनका वोट हेमंत सोरेन के पक्ष में ही होगा. इसके अतिरिक्त, निर्दलीय विधायक सरयू राय और अमित मंडल ने भी हेमंत सोरेन का समर्थन किया है, जिसके कारण एनडीए को अपने लक्ष्य से काफी दूर रहना पड़ रहा है. एनडीए के पास कुल 27 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

लोबिन हेंब्रम का विरोध
झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और वे सरकार के खिलाफ वोटिंग कर सकते हैं. हालांकि, इसका इंडिया गठबंधन की स्थिति पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके विपरीत, यदि भाजपा विधायक जेपी पटेल हेमंत सोरेन सरकार के साथ आएं, तो यह गणना बराबर हो जाएगी. इसी बीच, विधायक चमरा लिंडा के भी गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

संभावित परिणाम
सभी परिस्थितियों को देखते हुए, हेमंत सोरेन सरकार को विश्वासमत के दौरान किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने की संभावना है. इंडिया गठबंधन के पास पर्याप्त संख्या बल है और एनडीए अपने विधायकों के समर्थन में काफी पीछे है. इस प्रकार, झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार का स्थायित्व बनाए रखना काफी आसान दिखाई दे रहा है.

 

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