कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा| लेकिन इन सब में मानसिक तनाव सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आया। लॉकडाउन अवधि में आत्महत्या के मामले में लगातार हुई वृद्धि इस बात का सबसे बड़ा सबूत है। हालांकि ये सिलसिला अब भी जारी है। हजारों जिंदगी, समय से पहले इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। इसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा रही है।
इस हैरान और परेशान करने वाली स्थिति को देखते हुए इसके रोकथाम के लिए अलग-अलग स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। समय की जरूरत को समझते हुए रांची जिला प्रशासन ने सामाजिक संगठनों के मिलकर इस दिशा में कदम उठाए हैं। इस पहल के सकारात्मक नतीजे पिछले 20 दिनों में सामने आए।
इन 20 दिनों में 52 ऐसे मामले आये जिन्हें आत्महत्या करने से रोका जा सका| मानसिक तनाव, रोजगार के संकट, पारिवारिक विवाद व प्रताड़ना के कारण अपनी जिंदगी खत्म करने जा रहे इनलोगों के सामने उनकी समस्या का समाधान पेश किया गया| जिसके बाद आत्महत्या का विचार त्याग कर इनलोगों ने जिंदगी को फिर से गले लगाया|
रांची जिला प्रशासन ने आत्महत्या के मामलों की रोकथाम के लिए पहल करते हुए कुछ हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की है। इस हेल्पलाइन के नंबर के जरिए लोगों को जरूरत के मुताबिक रोजगार मुहैया कराने में मदद करने से लेकर मनोचिकित्सक के परामर्श तक का इंतजाम किया गया। केंद्रीय मन:चिकित्सा संस्थान, रांची (सीआइपी) के सहयोग से शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर 24 घंटे काम कर रही है तथा लोग इस पर कभी भी कॉल कर परामर्श ले सकते हैं।
जिला प्रशासन और सीआइपी की संयुक्त पहल से शुरू की गई इस आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन पर विशेषज्ञों द्वारा सहायता उपलब्ध कराई जा रही। हेल्पलाइन नंबर 9334915053 और 9334915046 पर कॉल कर उदास, अवसादग्रस्त लोग पर नि:शुल्क सलाह ले रहे हैं। अब तक सामने आए मामलों में सबसे ज्यादा रात बारह बजे से सुबह चार बजे के बीच लोगों ने संपर्क किया। इसमें ज्यादातर लोगों की उम्र 14 से 35 वर्ष के बीच थी। संपर्क करने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या 50 फीसद अधिक रही।
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार मार्च से जुलाई के बीच करीब 1000 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की। लॉकडाउन में अवसाद के सबसे मुख्य कारण पारिवारिक कलह, डिप्रेशन, आर्थिक तंगी रही। आत्महत्या निवारण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सृजन की रिपोर्ट को मानें तो रांची, खूंटी व रामगढ़ के कुछ इलाकों से लिए गए आंकड़े के अनुसार 10 महीने में 388 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं।
रांची के उपायुक्त छवि रंजन का कहना है कि कोरोना संकट के समय लोगों के सामने आर्थिक व रोजगार की समस्या आई। जिसके कारण कई लोग अवसाद में आ गए। ऐसे में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है। शुरूआती दौर में ही इस पहल के फायदे दिखने लगे हैं। पहल का मुख्य उद्देश्य इस मुश्किल समय में अपने नागरिकों में ये विश्वास पैदा करना है कि जिदंगी बेहद अनमोल है, ये दोबारा नहीं मिलने वाली। उपायुक्त ने कहा कि हमारे प्रयास से अगर एक भी जिंदगी बचती है तो यह हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी।’