रांची: देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी द्वारा की गई घोषणाएं अब सवालों के घेरे में हैं। 26 मई को मंत्री ने सदर अस्पताल का दौरा कर वहां स्थापित आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण किया और मीडिया के समक्ष यह घोषणा की थी कि एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मेडिकल टीम तैनात की जाएगी ताकि संभावित कोरोना संक्रमितों की पहचान और जांच की जा सके। लेकिन जब इन दावों की हकीकत जांची गई, तो तस्वीर कुछ और ही निकली।
ईटीवी भारत की टीम ने जब रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट और रांची रेलवे स्टेशन पर जाकर रियलिटी चेक किया, तो वहां कोई मेडिकल टीम नजर नहीं आई। यात्रियों की न तो थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी और न ही सैंपल कलेक्शन की कोई व्यवस्था दिखी।
जब इस मामले में रांची के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार से संपर्क किया गया, तो उन्होंने दावा किया कि एयरपोर्ट के अंदर मेडिकल टीम मौजूद है। हालांकि, यह दावा भी हवा-हवाई साबित हुआ। दिल्ली से रांची पहुंचे यात्रियों अदिति और दीपक ने बताया कि एयरपोर्ट पर किसी प्रकार की जांच नहीं की गई। न उनका तापमान मापा गया और न ही कोई मेडिकल कर्मी वहां दिखा।
मंत्री के बयान और ज़मीनी हकीकत के बीच भारी अंतर ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने जहां सार्वजनिक रूप से बड़े-बड़े दावे किए, वहीं इन दावों की पुष्टि मौके पर नहीं हो पाई।
रिम्स ने दिखाई सतर्कता, की तैयारी तेज
इस बीच रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) की ओर से कोविड के संभावित खतरे से निपटने के लिए गंभीरता दिखाई गई है। रिम्स के अपर निदेशक डॉ. शैलेंद्र त्रिपाठी ने जानकारी दी कि संस्थान ने कई अहम कदम उठाए हैं:
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डेंगू वार्ड को कोविड आइसोलेशन वार्ड के रूप में तैयार करते हुए 20 बेड आरक्षित किए गए हैं।
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मेडिसिन ओपीडी में स्क्रीनिंग और सैंपल कलेक्शन की व्यवस्था की गई है।
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आरटीपीसीआर और जीनोम सीक्वेंसिंग यूनिट को अलर्ट किया गया है।
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स्टोर विभाग को सर्जिकल मास्क, पीपीई किट, ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, मॉनिटर और दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
जहां एक ओर रिम्स प्रशासन कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं को गंभीरता से लेकर तैयारी कर रहा है, वहीं राज्य सरकार के शीर्ष स्तर पर की गई घोषणाएं सिर्फ जुबानी जमा खर्च बनकर रह गई हैं। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी की घोषणाओं के बाद अपेक्षा की जा रही थी कि हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर मेडिकल टीमों की तैनाती होगी, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सरकार सिर्फ कागज़ों पर कोरोना से लड़ रही है?