रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ0 रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की व्यवस्था पर नाराजगी जताई। खंडपीठ ने रिम्स की बदहाली और अन्य मामलों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए रिम्स के निदेशक को कड़ी फटकार लगाई। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि वे काम नहीं करना चाहते हैं, तो इस्तीफा दे दें। सुनवाई के दौरान कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सचिव अरुण कुमार सिंह भी उपस्थित थे। अदालत ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख से पूछा कि किस प्रावधान के तहत आउटसोर्सिंग का सहारा लिया गया।
कोर्ट ने पूछा-रिम्स निदेशक क्यों नहीं किसी आईएएस को बना दिया जाए
हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने ये जानकारी दी कि अदालत ने मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए मौखिक रूप से कहा कि रिम्स की व्यवस्था दिनों दिन खराब होती जा रही है। अगर रिम्स को निदेशक नहीं संभाल सकते हैं, व्यवस्था में सुधार नहीं ला सकते हैं, तो क्यों नहीं रिम्स निदेशक किसी आईएएस को बना दिया जाए।
रिम्स की स्थिति बद से बदतर होने पर नाराजगी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अरुण कुमार सिंह कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए। अदालत की ओर से यह भी टिप्पणी की गई कि रिम्स की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आ रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
नियमित नियुक्ति शुरू नहीं पर सवाल
अदालत ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह से यह भी जानना चाहा कि रिम्स में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियमित नियुक्ति क्यों नहीं शुरू की गई है। क्या सरकार आउट सोर्सिंग से नियुक्ति पर विचार कर रही है।
स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई
हाईकोर्ट ने रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में बदलकर मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था। उसी याचिका और उससे जुड़ी अन्य कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई।