गुमला का ‘मिलेट मिशन’ बना हावर्ड यूनिवर्सिटी का केस स्टडी

गुमला जिले का ‘मिलेट मिशन’ न केवल झारखंड बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है. यह मिशन अब हावर्ड यूनिवर्सिटी में केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया है. इस मिशन को महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप प्रोग्राम के तहत हावर्ड बिजनेस स्कूल में पेश किया गया. मिशन के तहत वर्ष 2022-23 तक किए गए कार्यों का विवरण केस स्टडी में दिया गया है. उस दौरान गुमला के उपायुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सुशांत गौरव थे.

किसानों की स्थिति में बदलाव

गुमला के 90% किसान सीमांत किसान हैं, जो सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर थे. अधिकतर किसान पानी की अधिक खपत वाली धान की खेती करते थे और आधुनिक कृषि तकनीकों से अनजान थे. उपायुक्त सुशांत गौरव ने इस समस्या को हल करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मिलेट मिशन’ की शुरुआत की.

‘धान से रागी की ओर’ अभियान

मिशन को गति देने के लिए ‘धान से रागी की ओर’ अभियान चलाया गया. किसानों को जागरूक करने के लिए गोष्ठियों का आयोजन हुआ. उन्हें यह भरोसा दिलाया गया कि रागी की खेती से नुकसान नहीं होगा. किसानों को रागी के उत्पाद की बिक्री की गारंटी दी गई. इसके लिए सरकार ने देशभर में आयोजित मेलों में गुमला के रागी उत्पादों के स्टॉल लगाए, जिनकी भारी मांग होने लगी. किसानों का विश्वास जीतने के बाद उन्होंने जिला प्रशासन के इस अभियान में पूरा सहयोग किया. झारखंड के मौसम को देखते हुए रागी (मडुआ) की खेती को प्रोत्साहित किया गया.

खेती का विस्तार

जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा के अनुसार, उपायुक्त के निर्देश पर किसानों को बताया गया कि मडुआ शुष्क भूमि के लिए उपयुक्त है. राष्ट्रीय बीज निगम से गुणवत्तायुक्त मडुआ के बीज मंगवाए गए. इसका नतीजा यह हुआ कि केवल 18 महीनों में रागी की खेती 1300 एकड़ से बढ़कर 30,000 एकड़ तक पहुंच गई.

प्रसंस्करण इकाई और महिला सशक्तिकरण

गुमला जिले में रागी प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई. इन इकाइयों में स्थानीय महिलाओं को जोड़ा गया. हर दिन यहां एक टन रागी का उत्पादन होने लगा, जिसमें रागी के लड्डू और स्नैक्स भी शामिल थे. इस पहल से न केवल ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला, बल्कि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनीं.

कुपोषण से लड़ाई

रागी के लड्डू का वितरण आंगनबाड़ी केंद्रों में किया गया. इसका उद्देश्य बच्चों और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण को दूर करना था. आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वास्थ्य जांच इकाइयां भी शुरू की गईं, जिससे महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव दिखने लगे.

अंतरराष्ट्रीय पहचान

संयुक्त राष्ट्र ने 2023 में ‘इंटरनेशनल रागी डे’ घोषित किया. गुमला का यह मॉडल दुनिया के सामने एक मिसाल बन गया. हावर्ड बिजनेस स्कूल में इसे केस स्टडी के रूप में पेश करना जिले के लिए गर्व की बात है.

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