झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजे की राशि को लेकर नाराजगी जाहिर की है. राज्य सरकार का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में झारखंड को जीएसटी मुआवजे के तहत 41,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें मात्र 14,000 करोड़ रुपये ही मिले हैं. इस असमान वितरण ने झारखंड की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है. राज्य के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार से जीएसटी मुआवजे का कम से कम 70 प्रतिशत हिस्सा तुरंत उपलब्ध कराने की अपील की है.
जीएसटी मुआवजे की कमी से बढ़ी परेशानी
राजस्थान के जैसलमेर में राज्यों के वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में झारखंड ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया. ‘जागरण’ के साथ विशेष बातचीत में वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि केंद्र सरकार झारखंड जैसे जनजातीय बहुल राज्यों को उपेक्षित रख रही है. उन्होंने कहा, “हम भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं”. वित्तमंत्री के मुताबिक, जीएसटी मुआवजे और कोयला रॉयल्टी के विभिन्न मद में केंद्र सरकार को झारखंड को 1.36 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराने हैं. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से उचित सहयोग न मिलने के कारण राज्य में विकास योजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ रही है.
राजस्व बढ़ाने की राज्य की क्षमता और सीमाएं
राज्य सरकार ने अपनी राजस्व वृद्धि की क्षमता पर भरोसा जताया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार ने इस दिशा में मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई है. हालांकि, राज्य सरकार सिर्फ अपने राजस्व पर निर्भर रहकर सभी जरूरतें पूरी नहीं कर सकती. वित्तमंत्री ने कहा कि झारखंड को केंद्रीय सहायता अनुदान की आवश्यकता है ताकि समग्र विकास सुनिश्चित हो सके. झारखंड जैसे जनजातीय बहुल राज्य के लिए केंद्र का सहयोग जरूरी है. केंद्रीय वित्तमंत्री के समक्ष इन मुद्दों को रखते हुए राज्य सरकार ने सुझाव दिया है कि जीएसटी मुआवजे की अवधि को पांच वर्षों के लिए और बढ़ाया जाए.
केंद्रीय सहायता अनुदान का लक्ष्य अधूरा
वित्तमंत्री ने केंद्रीय सहायता अनुदान को लेकर भी नाराजगी जताई. चालू वित्तीय वर्ष के लिए 16,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य में से अब तक केवल 4,000 करोड़ रुपये ही मिले हैं. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में तीन माह बाकी हैं. वित्तमंत्री ने कहा कि यदि यह राशि फरवरी के अंत तक मिलती है, तो उसका उपयोग करना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने केंद्र सरकार से समय पर अनुदान राशि देने की मांग की ताकि इसका सही उपयोग हो सके. देर से अनुदान मिलने के कारण योजनाएं प्रभावित होती हैं और विकास कार्यों में रुकावट आती है.
राज्य सरकार की प्राथमिकताएं
राज्य सरकार ने शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है. इन क्षेत्रों में निवेश से न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि राजस्व के नए स्रोत भी विकसित किए जा सकते हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने से झारखंड की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है. वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को इन प्राथमिकताओं को समझते हुए राज्य का सहयोग करना चाहिए. यदि योजनाओं पर तेजी से काम किया जाए, तो झारखंड देश के अग्रणी राज्यों की कतार में खड़ा हो सकता है.
जीएसटी मुआवजे का बंटवारा कैसे होता है?
जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स को केंद्र और राज्य सरकार के बीच साझा किया जाता है. अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी का राजस्व 50:50 के अनुपात में बांटा जाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी उत्पाद की कीमत 100 रुपये है और उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होता है, तो इसमें से 9 रुपये केंद्र को और 9 रुपये राज्य को मिलते हैं. हालांकि, अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी दरें अलग-अलग होती हैं. आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी दर कम होती है, जबकि विलासिता की वस्तुओं पर अधिक दर लागू होती है. जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व में कमी को देखते हुए केंद्र ने पांच वर्षों तक मुआवजा देने का निर्णय लिया था. अब कई राज्यों, जिनमें झारखंड और तेलंगाना शामिल हैं, ने इस मुआवजा अवधि को और बढ़ाने की मांग की है.
राजस्व बढ़ाने का प्रयास, लेकिन सहयोग की आवश्यकता
वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने जोर देकर कहा कि झारखंड अपनी तरफ से राजस्व बढ़ाने के प्रयास कर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है. राज्य सरकार ने केंद्र के सामने स्पष्ट किया है कि वह अपने हिस्से का मुआवजा और सहायता समय पर चाहती है ताकि राज्य की योजनाओं में बाधा न आए.
झारखंड का विशेष महत्व
झारखंड भारत का एक जनजातीय बहुल राज्य है, जहां विकास की बड़ी संभावनाएं हैं. केंद्र सरकार की ओर से समय पर सहयोग मिलने से राज्य शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकता है. राज्य सरकार ने उम्मीद जताई है कि केंद्र झारखंड की मांगों पर गंभीरता से विचार करेगा और जरूरी कदम उठाएगा.