झारखंड सरकार इस बार किसानों से लगभग छह लाख मीट्रिक टन धान की खरीदारी करने की योजना बना रही है. यह पिछले साल के मुकाबले लगभग डेढ़ लाख मीट्रिक टन अधिक है. वर्ष 2023 में सूखे की स्थिति के कारण धान की खरीदारी में भारी कमी आई थी, लेकिन इस बार अच्छी बारिश होने के बाद, राज्य में धान की बेहतर पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही है. धान की खरीदारी दिसंबर से शुरू होगी, और इससे अधिक से अधिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपना धान बेचने का अवसर मिलेगा.
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए किस्म के लिए 2320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. झारखंड सरकार किसानों को धान की खरीदारी के लिए सामान्य किस्म के धान पर 2400 रुपये और ग्रेड-ए किस्म के लिए 2420 रुपये प्रति क्विंटल देगी. राज्य सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति क्विंटल 100 रुपये का बोनस देने की भी घोषणा की है.
बिचौलियों से बचाव और पारदर्शिता के लिए बायोमेट्रिक व्यवस्था
सरकार ने इस बार धान की खरीदारी प्रक्रिया में बिचौलियों से बचने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू की है. इस व्यवस्था के तहत, केवल बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही किसान अपने धान को बेच सकेंगे. धान क्रय केंद्रों में बायोमेट्रिक उपकरण लगाए जाएंगे, जो किसानों के अंगूठे के निशान के आधार पर उनकी पहचान सत्यापित करेंगे. इससे केवल निबंधित किसानों को ही धान बेचने का मौका मिलेगा, जिससे अन्य राज्यों के बिचौलियों द्वारा धान की बिक्री पर रोक लगेगी. इस नई व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि असली किसानों को उनके फसल का उचित मूल्य मिले और वे बिचौलियों के चंगुल से बच सकें. पहले अक्सर बिचौलिये दूसरे राज्यों से धान लाकर सरकार को बेच दिया करते थे, जिससे झारखंड के किसानों को भारी नुकसान होता था और उन्हें मजबूरी में बिचौलियों को सस्ते में अपना धान बेचना पड़ता था.
धान क्रय केंद्रों पर प्रक्रिया और किसानों की उम्मीदें
धान की खरीदारी को लेकर सरकार की तैयारी इस बार ज्यादा व्यापक है. इस बार अधिक से अधिक किसानों को धान बेचने का अवसर देने के लिए राज्य भर में कई धान क्रय केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इन केंद्रों पर किसानों से धान सीधे खरीदा जाएगा, जिससे वे बाजार में बिचौलियों से बच सकेंगे. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ सीधे मिलने के साथ ही, सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि धान बेचने के 48 घंटे के अंदर ही किसानों को उनके भुगतान का पूरा पैसा मिल जाएगा. इस व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के लिए विभागीय सचिव ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं.
पिछले साल का सूखा और इस बार की उम्मीदें
पिछले वर्ष, राज्य के कई जिलों में सूखे के कारण धान की खरीदारी मात्र 20% तक सीमित रह गई थी. कई किसानों ने सूखे के कारण अपनी फसल की बिक्री नहीं कर पाई, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन इस साल, समय पर हुई अच्छी बारिश से किसानों के बीच एक नई उम्मीद जगी है. सरकार का कहना है कि इस बार अधिक बारिश के कारण धान की अच्छी पैदावार होगी और किसानों को अपने फसल का अच्छा दाम मिलेगा. इसके अलावा, समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी भी की गई है, जिससे किसानों को पहले से अधिक लाभ मिल सकेगा.
धान बिक्री प्रक्रिया में आटोमेशन
किसानों की सुविधा और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए इस बार धान बिक्री की पूरी प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने की योजना बनाई गई है. सरकार की योजना है कि धान की बिक्री के 48 घंटे के भीतर किसानों के बैंक खातों में उनका भुगतान कर दिया जाए. इससे किसानों को भुगतान में किसी भी तरह की देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें अपने धन के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. विभाग ने सुनिश्चित किया है कि इस बार पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और ऑटोमेटेड बनाया जाए ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके. किसानों को धान बेचने के लिए केवल निबंधित क्रय केंद्रों पर जाकर अपनी बायोमेट्रिक पहचान के बाद ही अपना धान बेचने का अवसर मिलेगा.