झारखंड के गोड्डा जिले में गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के अपमान का एक मामला सामने आया है। यह घटना गोड्डा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दियारा की है, जहां तिरंगे को झंडोत्तोलन के बाद उतारने की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया गया।
गणतंत्र दिवस के दिन विद्यालय में पूरे सम्मान और उत्साह के साथ झंडोत्तोलन किया गया, लेकिन सूर्यास्त से पहले झंडे को उतारने का नियम पूरा नहीं किया गया। तिरंगा देर रात तक झंडे पर फहराता रहा, जो राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों का उल्लंघन है।
स्थानीय लोगों की जागरूकता
इस घटना की जानकारी मिलने पर नेपुरा पंचायत के पूर्व उप मुखिया अवधेश सिंह मौके पर पहुंचे। उनके हस्तक्षेप के बाद विद्यालय के अध्यक्ष को बुलाया गया और रात करीब दस बजे राष्ट्रीय ध्वज को उतारा गया।
हालांकि, इस दौरान विद्यालय के अध्यक्ष ने वीडियो बनाने से मना किया और मामले को सार्वजनिक करने में आपत्ति जताई। खबर लिखे जाने तक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका से संपर्क नहीं हो सका है।
राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम और प्रावधान
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भारत की पहचान और गौरव का प्रतीक है। इसे फहराने और उतारने के लिए कुछ विशेष नियम तय किए गए हैं।
- तिरंगे को सूर्योदय के बाद फहराना चाहिए और सूर्यास्त से पहले उतारना अनिवार्य है।
- तिरंगे को जमीन पर नहीं रखना चाहिए।
- तिरंगे का अपमान या नियमों का उल्लंघन करने पर भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तहत सजा का प्रावधान है।
सवालों के घेरे में स्कूल प्रशासन
इस घटना ने विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति उनकी जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तिरंगे का अपमान न केवल देश के सम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह कानून का उल्लंघन भी है।
राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों के प्रति हर व्यक्ति को जागरूक रहना चाहिए। इस घटना से यह स्पष्ट है कि शिक्षकों और विद्यालय प्रशासन को तिरंगे के सम्मान के प्रति अधिक सतर्क और जिम्मेदार होना चाहिए।