रांची: लंबे इंतेजार के बाद बुधवार को रिम्स के जेनेटिक्स और जिनोमिक्स विभाग में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब कोरोना के नए वेरिएंट की जांच झारखंड खुद कर सकेगा। अभी तक भुवनेश्वर से जांच कराया जाता था जिसमें 20 से 25 दिन का समय लगता था लेकिन अब झारखंड आत्मनिर्भर हो चुका है और कोरोनावायरस संक्रमण के वेरिएंट की जांच रिम्स में हो सकेगा। मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग ने निर्माता कंपनी से पांच करोड़ में अमेरिका से जीनोम मशीन मंगवायी है। मशीन मंगाने के लिए सरकार की अधिकृत एजेंसी जैम में निविदा आमंत्रित की गयी थी जिसके बाद कंपनी ने उपकरण के लिए लगभग 2.50 करोड़ की राशि तय की थी।
उद्घाटन के साथ ही जिनोम सिक्वेंसिंग मशीन से जांच भी शुरू हो गई। करीब एक साल के लंबे इंतजार के बाद अब विभिन्न तरह के संक्रमण के वेरिएंट की जांच सरल हो सकेगी। उद्घाटन के मौके पर रिम्स निदेशक डा कामेश्वर प्रसाद सहित अन्य भी मौजूद थे। विभाग के शुरुआत हो जाने से रिम्स में कई तरह के वायरस और बीमारियों पर शोध हो सकेगा। इसके अलावा जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन का संचालन भी इसी विभाग के अंतर्गत होगा। रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन के संचालन के लिए बुधवार से कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वायरस के वेरिएंट की जांच रिम्स में ही हो सकेगी। अभी तक वेरिएंट की जांच के लिए सैंपल भूवनेश्वर भेजा जाता था। मालूम हो कि इससे पहले विशेषज्ञों की बहाली भी की जा चुकी है।
वायरस के वैरीएंट को पहचानने में मिलेगी मदद..
कोरोना की पहली व दूसरी लहर में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन काफी जरूरत पड़ी थी। लेकिन कई बार प्रयास करने के बाद भी विभाग इसकी खरीदारी नहीं कर पाया। कई बार इसके मूल्य को लेकर मामला फंसा रहा लेकिन अंततः इसकी खरीदारी हो सकी। हालांकि जिस वक्त इस मशीन की जरूरत थी उस समय यह उपलब्ध नहीं हो पाया। लेकिन अब उम्मीद है कि आगे किसी भी वायरस के वैरीएंट को पहचानने में तुरंत मदद मिलेगी ताकि इसके रोकथाम को लेकर रणनीति बनाई जा सके व इलाज सुलभ हो सके।