पीएम-किसान योजना में फर्जीवाड़ा: गिरिडीह में गलत दस्तावेजों से बने लाभार्थी….

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना में झारखंड के गिरिडीह जिले में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. गलत दस्तावेजों के आधार पर अपात्र लोगों को लाभुक बनाए जाने की शिकायत के बाद राज्य के कृषि सचिव अबुबकर सिद्दीख पी ने सभी जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को अंचल स्तर पर गहन जांच करने और दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

पीएम-किसान योजना क्या है?

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पात्र किसानों को हर साल ₹6,000 की आर्थिक सहायता तीन समान किस्तों में दी जाती है. यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक संबल देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है. वर्तमान में झारखंड में करीब 22.72 लाख किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.

गिरिडीह में फर्जी दस्तावेजों से अपात्र लोगों को मिला लाभ

गिरिडीह जिले में स्वतः निबंधन के जरिए आवेदन करने वाले कुछ लाभार्थियों की जांच के दौरान कई अनियमितताएं पाई गईं. राज्य स्तर पर की गई जांच में कम से कम छह ऐसे लाभार्थी मिले हैं, जिनके दस्तावेज़ संदेहास्पद पाए गए हैं.

• कई आवेदकों द्वारा अपलोड की गई वंशावली की जानकारी भूमि रसीद के विवरण से मेल नहीं खा रही थी.

• एक ही भूमि की रसीद का उपयोग कई आवेदकों द्वारा किया गया था.

• यह आशंका जताई जा रही है कि इस गड़बड़ी में आवेदकों के साथ-साथ प्रखंड और जिला कृषि कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है.

राज्य के सभी जिलों में जांच के आदेश

कृषि सचिव ने सभी उपायुक्तों को अंचल स्तर पर लाभुकों की गहन छानबीन करने और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सत्यापन की प्रक्रिया को कड़ाई से लागू किया जाए और निर्धारित दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन हो.

• अंचल कार्यालय को सबसे पहले पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेज़ों की जांच करनी होगी.

• जिला स्तर पर सत्यापन के बाद ही आवेदन को राज्य स्तरीय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा.

• यदि किसी भी स्तर पर संदेहास्पद मामलों को बिना उचित जांच के मंजूरी दी गई, तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

स्वतः निबंधन सुविधा बनी फर्जीवाड़े की वजह?

इस योजना में पहले पंचायत और प्रखंड स्तर पर पंजीकरण एवं सत्यापन की प्रक्रिया थी. लेकिन, दो साल पहले किसानों की सुविधा के लिए स्वतः निबंधन (Self-Registration) का विकल्प शुरू किया गया. इस प्रक्रिया में किसान अपने दस्तावेज़ों को सीधे पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. हालांकि, इस सुविधा का गलत फायदा उठाते हुए कुछ अपात्र व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए योजना का लाभ लेने का प्रयास किया है.

दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई

कृषि सचिव ने यह भी कहा कि लाभुकों के सत्यापन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके. राज्य सरकार ने सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि वे आपसी समन्वय बनाकर यह सुनिश्चित करें कि इस योजना का लाभ केवल वास्तविक और पात्र किसानों को ही मिले. इसके लिए, सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु तकनीकी साधनों का उपयोग किया जाएगा.

किसानों से अपील: सही दस्तावेज़ अपलोड करें

राज्य सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे पीएम-किसान योजना के लिए सही और सत्यापित दस्तावेज़ अपलोड करें, ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो. अगर उन्हें किसी भी प्रकार की अनियमितता की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें, ताकि समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके.

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