झारखंड सरकार की महिलाओं के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी “मंईयां सम्मान योजना” में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत चाकड़ी पंचायत में हुई इस गड़बड़ी ने प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है. जांच में पाया गया कि यहां के लाभार्थियों की सूची में न केवल बाहरी राज्यों के लोग शामिल हैं, बल्कि इस महिला-केंद्रित योजना में पुरुष का नाम भी दर्ज है. इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश और अविश्वास का माहौल बन गया है.
मुस्लिम परिवार नहीं, फिर भी आठ मुस्लिम नाम!
चाकड़ी पंचायत की मुखिया संगीता सरदार के अनुसार, उनके क्षेत्र में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता, बावजूद इसके योजना की सत्यापन सूची में आठ मुस्लिम नाम पाए गए. इन नामों में रश्मिना खातून, रेजिना खातून, शबनम बानो, नूर सबा बेगम, अलीमा अंदेरा, अंजुमा बेगम, शहनाज परवीन और सबसे चौंकाने वाला नाम मोहम्मद अब्दुल हमीद का है, जो कि एक पुरुष है. चूंकि मंईयां सम्मान योजना विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाई गई है, ऐसे में किसी पुरुष का लाभार्थी सूची में आना एक गंभीर अनियमितता को दर्शाता है.
बंगाल से जुड़े मोबाइल नंबर और फर्जी राशन कार्ड
सत्यापन के दौरान जब लाभार्थियों के मोबाइल नंबरों की जांच की गई, तो पाया गया कि अधिकांश नंबर पश्चिम बंगाल से संबंधित हैं. कुछ नंबर झारखंड से बाहर के अन्य राज्यों से भी जुड़े पाए गए. इसके अलावा, लाभ लेने के लिए जिन राशन कार्डों का उपयोग किया गया था, वे फर्जी या संदिग्ध पाए गए. इससे यह स्पष्ट हो गया कि योजना का लाभ उठाने के लिए पहचान पत्र और दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया गया है.
पंचायत की मुखिया भी हैरान
मुखिया संगीता सरदार ने बताया कि रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया उनकी देखरेख में हुई थी, लेकिन इन असंबद्ध नामों का सूची में कैसे समावेश हुआ, यह उनके लिए भी रहस्य बना हुआ है. उन्होंने साफ कहा कि न तो इन लोगों को किसी ने पंचायत में देखा है और न ही ये स्थानीय निवासी हैं. इस मामले में उन्होंने लिखित शिकायत दर्ज कर उचित कार्रवाई की मांग की है.
अन्य फर्जी नाम भी शामिल
यह फर्जीवाड़ा सिर्फ मुस्लिम नामों तक सीमित नहीं है. सत्यापन सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनका चाकड़ी पंचायत से कोई लेना-देना नहीं है. इन नामों में शेरन बर्मन, अच्छा सिंघा, साटो बर्मन, चंदा कुमारी, अलका कुमारी और आरती कुमारी शामिल हैं. ये सभी नाम भी ऐसे व्यक्तियों के हैं जिनका चाकड़ी या आसपास के किसी पंचायत से कोई संबंध नहीं है. इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल हो रहा है.
वास्तविक लाभार्थी वंचित
इस फर्जीवाड़े से सबसे ज्यादा नुकसान उन महिलाओं को हो रहा है जो इस योजना की वास्तविक हकदार हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिन महिलाओं को इस योजना का सीधा लाभ मिलना चाहिए था, वे आज भी लाभ से वंचित हैं. वहीं, बाहरी और फर्जी दस्तावेजों के जरिए कुछ लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं.
स्थानीय लोगों में रोष
इस पूरे मामले के उजागर होने के बाद चाकड़ी पंचायत समेत आसपास के क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया है. लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब पंचायत की मुखिया खुद कह रही हैं कि ये नाम पंचायत से संबंधित नहीं हैं, तो फिर ये सूची किसने और कैसे तैयार की? क्या इसमें पंचायत सचिवालय, ब्लॉक या जिला स्तर पर भी मिलीभगत है?
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि मंईयां सम्मान योजना के लाभार्थियों के चयन में गंभीर लापरवाही हुई है. साथ ही, यह भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है. अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले की कितनी गंभीरता से जांच करता है और दोषियों पर कब तक कार्रवाई होती है.