झारखंड की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हुआ है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सदस्यता और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने इस्तीफे में पार्टी की कार्यशैली और नीतियों पर असंतोष जाहिर किया है. चंपई सोरेन ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वे पार्टी की वर्तमान दिशा और कार्यशैली से बेहद निराश हैं. उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए अत्यंत दुख की बात है कि जिस पार्टी के लिए हमने संघर्ष किया, जंगलों, पहाड़ों और गांवों की खाक छानी, वह अब अपनी मूल दिशा से भटक चुकी है. “उन्होंने झामुमो को अपना परिवार बताते हुए लिखा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इसे छोड़ना पड़ेगा. लेकिन हाल के घटनाक्रमों के चलते मुझे यह कठिन निर्णय लेना पड़ा है. “चंपई सोरेन ने पार्टी में संवाद की कमी पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, “गुरु जी (शिबू सोरेन) के स्वास्थ्य के कारण आप सक्रिय राजनीति से दूर हैं, और आपके अलावा पार्टी में ऐसा कोई फोरम नहीं है, जहां हम अपनी पीड़ा को व्यक्त कर सकें. इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं. उन्होंने अपने पत्र में झारखंड आंदोलन के दौरान और उसके बाद गुरु जी से सीखे गए अनुभवों का जिक्र करते हुए लिखा, “आप सदैव मेरे मार्गदर्शक बने रहेंगे. अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार करें”. चंपई सोरेन के इस इस्तीफे से झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीति में हलचल मच गई है. उनकी नाराजगी और पार्टी छोड़ने के फैसले से पार्टी के अंदर कई सवाल खड़े हो गए हैं. पार्टी के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया का इंतजार है.
चंपाई सोरेन का अपने गुरुजी को लिखा “भावुक पत्र”
“आदरणीय गुरु जी,
जोहार !
मैं चम्पाई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा की वर्तमान कार्यशैली एवं नीतियों से विक्षुब्ध होकर, पार्टी छोड़ने को विवश हूँ .
अत्यंत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आप के मार्गदर्शन में जिस पार्टी का सपना हम जैसे कार्यकर्ताओं ने देखा था, एवं जिस के लिए हम लोगों ने जंगलों, पहाड़ों एवं गांवों की खाक छानी थी, आज पार्टी अपनी उस दिशा से भटक चुकी है.
झामुमो मेरे लिए एक परिवार जैसा रहा एवं मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे इसे छोड़ना पड़ेगा. लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम की वजह से, मुझे बहुत ही पीड़ा के साथ यह कठिन निर्णय लेना पड़ा रहा है.
आपके वर्तमान स्वास्थ्य की वजह से आप सक्रिय राजनीति से दूर हैं, तथा आपके अलावा पार्टी में ऐसा कोई फोरम नहीं है, जहां हम अपनी मन की पीड़ा को बता सकें. इस वजह से मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता एवं सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं.
आपके मार्गदर्शन में, झारखण्ड आंदोलन के दौरान तथा उसके बाद भी, मुझे जीवन में बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ है. आप सदैव मेरे मार्गदर्शक बने रहेंगे .
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार करने की कृपा करें.
सधन्यवाद”.