वन क्षेत्र पदाधिकारी नियुक्ति मामला: बाबूलाल मरांडी ने वानिकी स्नातकों की अनदेखी पर उठाई आवाज……

झारखंड में वन क्षेत्र पदाधिकारी और सहायक वन संरक्षक पदों की सीधी नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इस विवाद की जड़ है झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) द्वारा वर्ष 2024 में जारी किया गया एक विज्ञापन, जिसमें इन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे. हालांकि, इस विज्ञापन में वानिकी (Forestry) संकाय से स्नातक छात्रों को किसी भी प्रकार की प्राथमिकता नहीं दी गई है, जिसे लेकर अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. बाबूलाल मरांडी ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखकर इस विज्ञापन को रद्द करने और नया संशोधित विज्ञापन जारी करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया वानिकी संकाय से स्नातक युवाओं के साथ अन्याय है, जिन्हें उनकी विशेषज्ञता के बावजूद नजरअंदाज कर दिया गया है. मरांडी ने पत्र में लिखा कि झारखंड जैसे राज्य, जहां वन क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा है, वहां वानिकी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. लेकिन दुर्भाग्यवश, JPSC द्वारा जारी किए गए इस विज्ञापन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

मरांडी ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) से वानिकी संकाय के दर्जनों छात्रों ने उनसे मुलाकात कर इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की है. छात्रों ने बताया कि उन्हें वन विभाग में नियुक्ति की उम्मीद थी, क्योंकि उन्होंने चार साल तक इसी क्षेत्र की पढ़ाई की है, लेकिन इस विज्ञापन ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. उन्होंने कहा कि अन्य कई राज्यों में वानिकी स्नातकों को प्राथमिकता दी जाती है और यहां तक कि 50 प्रतिशत पद उन्हीं के लिए आरक्षित रहते हैं. लेकिन झारखंड में इस तरह की कोई नीति लागू नहीं की गई है. बता दें कि JPSC ने अगस्त 2024 में विज्ञापन संख्या 04/2024 के तहत सहायक वन संरक्षक एवं वन क्षेत्र पदाधिकारी के पदों पर सीधी नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे. इन पदों की प्रारंभिक परीक्षा की संभावित तिथियां 15 जून और 29 जून 2025 घोषित की गई हैं. विज्ञापन के अनुसार, किसी भी विषय में स्नातक डिग्री धारक इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन वानिकी विषय से स्नातक को कोई अतिरिक्त वरीयता या आरक्षण नहीं दिया गया है. इसी बिंदु पर आपत्ति जताते हुए बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में झारखंड हाईकोर्ट के पुराने आदेश का भी हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि न्यायालय ने भी पूर्व में इसी प्रकार के मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले छात्रों को प्राथमिकता देने की बात कही है. ऐसे में सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और वानिकी स्नातकों के हित में त्वरित निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने पत्र में यह भी सुझाव दिया कि राज्य सरकार को वन क्षेत्र पदाधिकारी और सहायक वन संरक्षक जैसे पदों की नियुक्ति में 50 प्रतिशत पद वानिकी स्नातकों के लिए आरक्षित करने चाहिए, ताकि संबंधित क्षेत्र के छात्रों को न्याय मिल सके और उनकी विशेषज्ञता का लाभ राज्य को मिल सके. मरांडी ने मुख्यमंत्री से यह अपील की कि वह व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर ध्यान दें और विज्ञापन संख्या 04/2024 को रद्द कर नया, संशोधित और न्यायोचित विज्ञापन जारी करें जिसमें वानिकी संकाय से स्नातक छात्रों को उचित स्थान दिया जाए. यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और देखना होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस पर क्या कदम उठाते हैं. यदि सरकार इस मांग को अनदेखा करती है तो आने वाले दिनों में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, खासकर तब जब राज्य में युवाओं में बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया को लेकर असंतोष पहले से ही व्याप्त है. वानिकी स्नातकों की इस मांग को लेकर कई छात्र संगठनों ने भी समर्थन जताया है और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. अब निगाहें राज्य सरकार और JPSC की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं.

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