रांची : झारखंड में पहली बार नई तकनीक से मछली का उत्पादन होगा। मत्स्य निदेशालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में राज्य में पहली बार गंगा नदी की नर मछली ब्रूडर के सीमेन का उपयोग कर आनुवांशिक रूप से उन्नत ब्रूडर मछली के अलावा उन्नत मछली का बीज तैयार करने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम मत्स्य निदेशक डॉ एच॰एन द्विवेदी के निर्देश पर प्रथम चरण में दो निजी हैचरी संचालक के फार्म में सम्पन्न हुआ। वैज्ञानिक डॉ आदित्य कुमार और तकनीकी रामाशंकर शाह द्वारा तकनीक का प्रायोगिक प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय हैचरी संचालक एवं मत्स्य प्रभाग के संयुक्त मत्स्य निदेशक मनोज कुमार एवं सहायक मत्स्य निदेशक शंभु यादव, जिला मत्स्य पदाधिकारी अरूप कुमार चैधरी, सहायक मत्स्य निदेशक, रीतु रंजन एवं अन्य मौजूद रहें।
वही इस कार्यक्रम के अंतर्गत हजारीबाग के निजी हैचरी संचालक देवानंद और रांची के हैचरी संचालक इन्द्रजीत डे की मौजूदगी में ब्रीडिंग कार्य सम्पन्न किया गया। उनके फार्म-सह-हैचरी यूनिट में गंगा नदी की नर मछलियों के हिमपरिरक्षित सीमेन को झारखंड के मादा मछलियों के अंडों के साथ मिलाकर प्रजनन कार्य कराया गया। हिमपरिरक्षित सीमेन का उपयोग से उन्नत गुणों के मत्स्य बीजों की अगली पीढ़ी में लाया जाना है। इसके अलावा इस कार्यक्रम में राज्य के स्थानीय हैचरी संचालकों को इस तकनीक का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया। ताकि झारखंड के मत्स्य किसान भी इसका लाभ उठा सकें। इस योजना की सफलता उन्नत बीज उत्पादन की दिशा में काफी लाभदायक साबित होगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा नई तकनीक को बढ़ावा देने और नए प्रयोग किये जाने के आदेश के बाद यह कार्यक्रम किया जा रहा है। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख एवं कृषि सचिव के मार्गदर्शन में इसे मूर्त रूप दिया जा रहा है। महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी) डॉ जे॰के जैना, निदेशक डॉ के॰के लाल के निर्देशन एवं सहयोग से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। द्वितीय चरण में इस आनुवांशिक उन्नयन के तहत स्थानीय सरकारी हैचरी में भी ब्रूडर स्टॉक का प्रजनन कराने की कार्य योजना तैयार की है.