बीते साल लॉकडाउन के दौरान रोजी रोटी के अभाव में कई प्रवासी मजदूर वापस अपने अपने गृह राज्य को आ गए थे। इसमें भारी संख्या में झारखंड के मजदूर भी शामिल थे। हालांकि स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर और अनलॉक होने के बाद इन मजदूरों को फ्लाइट का टिकट देकर काम पर वापस बुलाया गया था। लेकिन अब उस हवाई यात्रा के पैसे उन मजदूरों के सैलरी से ही काटे जा रहे हैं। अब तक ऐसी 100 से ज्यादा शिकायतें झारखंड सरकार के पास आ चुकी हैं।
मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु में काम करने वाले झारखंड के मजदूरों ने राज्य सरकार की हेल्पलाइन पर अपने अपने कंपनियों की शिकायत की है। झारखंड सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल इसकी जानकारी केंद्र सरकार और नीति आयोग को भेज दी है। इसके साथ ही उक्त राज्यों की सरकार से भी सख्त एक्शन लेने को कहा है।
झारखंड सरकार की हेल्पलाइन पर एक मजदूर ने फोन कर बताया कि उसकी कंपनी ने उसे फ्लाइट से चेन्नई बुलाया था। उस समय उससे कहा गया कि ये खर्च कंपनी उठा रही है, लेकिन अब किराए की रकम को उसकी सैलरी से किश्त के तौर पर काटा जा रहा है।
वहीं एक दूसरे मजदूर ने बताया कि उसकी सैलरी से 3 किश्तों में किराए के पैसे काटे जा रहे हैं। महज 10 हजार की सैलरी में से कंपनी पिछले 2 महीने से 4 हजार रुपए काट रही है। पैसे कटकर मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। दरअसल, जिस समय मजदूर इन शहरों को लौटे थे, उस समय ट्रेनें नहीं चल रही थीं और प्लेन का किराया भी दोगुना था।
श्रम विभाग की हेल्पलाइन को लीड कर रहे जॉनसन टोपनो ने बताया कि सैलरी से किराया काटना वेजेज एक्ट 1936 का उल्लंघन है। ये अमानवीय है। लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थितियों में भी इस तरह का व्यवहार कहीं से जायज नहीं है। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों से कंपनियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने को कहा है।
9 लाख से ज्यादा मजदूर लॉकडाउन में झारखंड लौटे
झारखंड सरकार के श्रम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के वक्त करीब 9 लाख मजदूर वापस झारखंड लौटे थे। ये आंकड़े मार्च 2020 से लेकर जुलाई 2020 के बीच के हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जो साइकिल से या पैदल चलकर भी वापस आए थे। महीनों तक ये अपने गांव में थे लेकिन यहां रोजगार की व्यवस्था नहीं हुई। ऐसे में जब पुरानी कंपनियों से बुलावा आया तो ये मजदूर वापस महानगरों को लौट गए।