रांची : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि स्थित लुप्तप्राय देशज भाषा एवं संस्कृति प्रलेखन केंद्र की शोधार्थियों रेणु मुंडा और बसंती महतो को जर्मनी के कील विश्वविद्यालय के भाषा विभाग से फेलोशिप मिलेगा। रेणु मुंडा और बसंती महतो फिलहाल मानवशास्त्र विभाग में डॉ अभय सागर मिंज के संरक्षण में शोध कर रही हैं। दोनों शोधार्थी पहले से ही लुप्तप्राय तुरी भाषा पर विगत डेढ़ वर्षों से कार्य कर रही हैं। कील विश्वविद्यालय के प्रो जॉन माइकल पीटर्सन एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ के रूप में इनका मार्ग दर्शन करते रहे हैं। दोनों शोधार्थियों को 380 यूरो (करीब 33 हजार रुपये) प्रति माह प्राप्त होगा, जो शुरुआत में चार माह के लिए है।
डॉ अभय मिंज ने इसे गर्व का पल बताया और दोनों शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी हैं। गौरतलब है की डॉ मिंज ने दोनो शोधार्थियों के कठिन परिश्रम और कार्यशैली को देखते हुए उनके लिए क्षेत्र अध्ययन के व्यय के लिए प्रो जॉन पीटर्सन को फेलोशिप के लिए पत्र लिखा था। प्रो जॉन ने अपने भाषा विभाग से इनके लिए अल्प अवधि के लिए फेलोशिप प्रदान किया है।