झारखंड के रामगढ़ ज़िले में एक अनोखा चमकत्कार देखने को मिला। एक संगठन के भोजन वितरण कार्यक्रम के दौरान दस साल पहले बिछड़े बाप बेटे की मुलाक़ात हो गई। एक 13 वर्षीय लड़का भोजन परोसते समय अपने बिछड़े पिता से मिल गया। पिता का नाम टिंकु वर्मा बताया जा रहा है। बात दरअसल ये है कि वर्ष 2013 में टिंकु वर्मा की पत्नी की संदेहास्पद परिस्तिथि में मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने टिंकु वर्मा को हिरासत में ले लिया था। क़िस्मत का खेल कुछ ऐसा हुआ की शुक्रवार दोपहर जब टिंकु वर्मा मुफ़्त भोजन वितरण के दौरान एक क़तार में बैठा था उस वक़्त टिंकु वर्मा का पुत्र शिवम् भी वहीं पर भोजन परोस रहा था। बेटे ने उस दाढ़ी वाले व्यक्ति को देखा और उसे आभास हो गया की उसने इस शक्स को कहीं देखा है। टिंकु वर्मा ने भी बेटे को तुरंत पहचान लिया। उसके बेटे को उसकी गिरफ़्तारी के बाद अधिकारियों ने एक अनाथ बच्चों के लिए काम करने वाले ग़ैर सरकारी संगठन को सौंप दिया था। इस संगठन का नाम “डिवाइन ओंकार मिशन” था। उस वक़्त शिवम् नाम का यह बच्चा केवल 3 साल का था।
एक दूसरे से मिलने के बाद दोनों पिता पुत्र की आँखें नम हो गयीं और दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया। इस भावुक क्षण ने संगठन के प्रबंधक राजेश नेगी का भी ध्यान खींचा। नेगी ने बताया की बच्चे की माँ की मौत और पिता कि गिरफ़्तारी के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने उसे संगठन को देख रेख करने के लिए सौंप दिया था। उन्होंने कहा, ‘बच्चे का ध्यान रखने वाला उस वक्त कोई नहीं था।’ उन्होंने यह भी बताया कि शिवम् अब आठवीं कक्षा में पढ़ता है। वो संगठन द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में ही है।
शिवम् के पिता टिंकु वर्मा फ़िलहाल रामगढ़ ज़िले में रहते हैं। रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीने के लिए वो रिक्शा चलाते हैं। नेगी ने जानकारी दी की सभी औचारिकताओं को पूरा किया गाया और उसके बाद शिवम् को उसके पिता को सौंप दिया गया। शिवम् ने कहा की उसने कभी नहीं सोचा था कि वो अपने पिता से दुबारा मिल पाएगा। उनसे मुलाक़ात उसके लिए किसी उपहार से कम नहीं है। उसने कहा कि वो डिवाइन ओंकार मिशन को कभी नहीं भूल पाएगा क्योंकि यही वो स्थान था जहां उसका बचपन बीता। टिंकु वर्मा ने भी अपने बच्चे का दस साल तक ध्यान रखने के लिये संस्थान का शुक्रिया अदा किया।