झारखंड में इस साल मानसून की देरी और कम वर्षा ने किसानों के सामने एक गंभीर संकट खड़ा कर दिया है. एक जून से 17 जुलाई तक राज्य में सामान्य वर्षा 359.9 मिलीमीटर होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक मात्र 188.1 मिलीमीटर वर्षा हुई है. इस कमी के कारण राज्य के विभिन्न जिलों में धान की रोपाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है. किसानों को मजबूरन ट्यूबवेल का पानी लेकर रोपाई करनी पड़ रही है, जिससे उनकी लागत में वृद्धि हो रही है.
स्थिति की गंभीरता..
कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ बताते हैं कि धान की खेती के लिए समय पर और पर्याप्त मात्रा में पानी का होना अत्यंत आवश्यक है. पूर्वी सिंहभूम जिले के किसान बताते हैं कि बारिश न होने के कारण खेतों में दरारें पड़ गई हैं. धान की फसल के लिए जरूरी पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिससे फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. किसान प्रमोद सिंह ने कहा, “हम ट्यूबवेल का पानी खेतों में डालकर धान की रोपाई कर रहे हैं. इससे लागत बढ़ गई है और फसल की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है.“ वहीं, किसान सुरेश कुमार ने बताया कि इस बार समय पर मानसून न आने से फसल उत्पादन में कमी की आशंका है.
पिछले 24 घंटे का मौसम..
राजधानी रांची में पिछले 24 घंटे के मौसम की रिपोर्ट में मात्र 7.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जबकि देवघर में सबसे अधिक 35 मिलीमीटर वर्षा हुई. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एसडी कोटाल ने बताया कि अगले 24 घंटे में रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, गिरिडीह, खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम में हल्की वर्षा की संभावना है. हालांकि, मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में कुछ जिलों में हल्की वर्षा की संभावना जताई है, लेकिन इससे किसानों की समस्याएं पूरी तरह से हल नहीं होंगी. कृषि विभाग के अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं.
सरकारी प्रयास और योजनाएं…
राज्य सरकार ने किसानों की मदद के लिए कुछ योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें पानी की कमी को पूरा करने के लिए ट्यूबवेल और तालाबों का निर्माण शामिल है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसानों को सही समय पर पानी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. इसके अलावा, सरकार ने किसानों को बीज, खाद और उर्वरक की मदद भी प्रदान की है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उनके समाधान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि किसी भी किसान को खेती के लिए पानी की कमी न हो. सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को समय पर और उचित मात्रा में पानी उपलब्ध कराया जाए, ताकि वे अपनी फसल की रोपाई सुचारू रूप से कर सकें.
किसानों की प्रतिक्रिया..
राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों ने सरकार के प्रयासों की सराहना की है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि मौजूदा संकट से निपटने के लिए और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. कुछ किसानों ने यह सुझाव दिया है कि सरकार को दीर्घकालिक जल प्रबंधन योजनाएं बनानी चाहिए, जिससे भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके.
विशेषज्ञों की राय..
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से निपटने के लिए सरकार को दीर्घकालिक और स्थायी उपायों पर ध्यान देना चाहिए. जल संचयन और प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, किसानों को आधुनिक सिंचाई तकनीकों और जल संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए. कृषि वैज्ञानिक डॉ. अजय सिंह ने कहा, “सरकार को वर्षा जल संचयन और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए. इससे किसानों को जल संकट से बचाया जा सकता है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि हो सकती है.“