रांची: किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) राज्य के किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है। केसीसी के माध्यम से किसानों को खेती के लिए आसान दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। इस ऋण का उपयोग कर किसान खेती के लिए बीज, खाद व जरूरी उपकरण खरीद रहे हैं। इससे जहां किसानों को खेती में सहायता मिल रही है, वहीं उन्हें साहूकारों के चंगुल से भी मुक्ति मिल रही है। मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन किसानों को लेकर काफी संवेदनशील रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिया था कि राज्य के ज्यादा से ज्यादा किसानों को केसीसी से जोड़ा जाए और इसका लाभ उन्हें मिले। जिसका प्रतिफल है कि अक्टूबर 2021 के पहले सप्ताह तक राज्य के 20,1687 लाभुकों के ऋण के लिए 68,516 लाख रुपए की स्वीकृत दी गई थी। कृषि के साथ मत्स्य पालन और दुग्ध उत्पादन के लिए भी ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं। यहां कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है कि किस तरह केसीसी राज्य के किसानों की खेती में सहाय़क सिद्ध हुआ है।
आसानी से मिला ऋण, सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमाया
अनु उरांव कांके के पिठौरिया स्थित कुम्हरिया गांव के निवासी हैं। इनका कहना हैं कि किसानों की बड़ी समस्या खेती के लिए पूंजी जुटाना होता है, क्योंकि पूंजी नहीं होने से वे समय पर खाद, बीज आदि नहीं खरीद पाते हैं। अनु उरांव ने बताया कि प्रखंड कार्यालय में जाने से उन्हें केसीसी के बारे में जानकारी मिली। जिसके बाद केसीसी के लिए आवेदन दिया। केसीसी के जरिए मिले ऋण का उपयोग उन्होंने ड्रीप एरिगेशन व खेती से जुड़े अन्य़ कार्यों के लिए किया। ढाई एकड़ में खीरा, टमाटर, पत्तागोभी की फसल लगायी थी। अनु बताते हैं पॉली हाउस में सब्जी की खेती करने का भी फायदा मिला। वे अब अगले सीजन के लिए तरबूज की खेती के लिए तैयारी कर रहे हैं। अनु बताते हैं कि सब्जियों की खेती में प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये तक की लागत आती है। सब्जियों की साल भर में तीन फसल ले पाते हैं। सारे खर्च को निकालने के बाद तकरीबन डेढ़ लाख रुपये तक की बचत हो जाती है।अनु उरांव कुम्हरिया एग्रो कांके फॉमर्स कंपनी लिमिटेड से भी जुड़े हैं। स्थानीय किसानों के इस संगठन में कुम्हरिया और आसपास के गांवों के 150 किसान जुड़े हैं। लगभग 50 किसान तो कुम्हरिया गांव से ही है। केसीसी के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें सबसे ज्यादा फायदा यह है कि आप अपनी जरूरत भर का ऋण ले सकते हैं। वह भी काफी कम ब्याज दर पर।
केसीसी से मिले ऋण से गेंहू और सरसों की खेती
प्रकाश भगत गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित चुन्दरी नवांटोली गांव के निवासी है। उन्हें पंचाय़त के मुखिया से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से होनेवाले फायदे के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि पहले तो साहूकारों से कृषि कार्य के लिए ऋण लेना पड़ता था, पर केसीसी से यह फायदा हुआ कि साहूकारों के चंगुल से मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि उनके पास सात एकड़ कृषि भूमि है। जिसमें से आधे हिस्से पर वे धान की खेती करते हैं और आधे में गेहूं की। केसीसी से उन्होंने 46,000 रुपये का ऋण लिया था। इसका उपयोग उन्होंने गेंहू और सरसों की खेती में लगाया। खेती के नये तरीके अपनाने और मेहनत करने की वजह से अच्छी फसल हुई। प्रकाश बताते हैं कि सारे खर्च निकालने के बाद उन्हें 40,000 रुपय़े का लाभ हुआ। वे अपना केसीसी का ऋण चुका चुके हैं और अब गेंहू की खेती के लिए तैयारी कर रहे हैं।
आलू और गेंहू की खेती कर रहे खूंटी के नरेश महतो
खूंटी के मान्हो सिलादोन गांव के निवासी नरेश महतो को एक महीने पहले ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के बारे में जानकारी मिली। योजना के बारे में जानकर उन्होंने ऋण के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरा कर आवेदन किया। नरेश महतो को 50,000 रुपये का ऋण मिला। नरेश के पास कृषि के लिए लगभग पांच एकड़ भूमि है। हालांकि इसमें से कुछ भूमि पर खेती नहीं हो पाती। नरेश ने 40 डिसमिल भूमि पर आलू की खेती की है। इसके अलावा वे एक एकड़ भूमि पर गेंहू की फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं। नरेश महतो ने कहा कि केसीसी काफी अच्छी योजना है। इससे किसानों को खेती कार्य के लिए खाद, बीज व जुताई आदि करने में काफी सहूलियत हो रही है।
कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की निदेशक निशा उरांव ने बताया की माननीय मुख्यमंत्री के आदेश पर युद्ध स्तर पर किसानों को केसीसी मुहैया कराया जा रहा है । कृषक मित्र, एटीएम, बीटीएम एवं वीएलडब्लू टोला-टोला घूम कर किसानों से केसीसी फॉर्म भरवा रहे हैं। फलस्वरूप इस वर्ष अप्रत्याशित रूप से सबसे अधिक केसीसी आवेदन भरवाए गए हैं। यदि किसी त्रुटि के कारण बैंक कुछ आवेदनों को अस्वीकार करते हैं, तो कृषि विभाग के कर्मचारी इन आवेदनों को शुद्ध कर पुनः बैंक में जमा भी करा रहे हैं।