झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि IAS अधिकारी मनीष रंजन के सचिवीय कार्यकाल के दौरान विभाग से 2.71 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी की गई. यह निकासी वर्ष 2020 में की गई थी, लेकिन इसका मामला 2023 में सामने आया और अब ED ने इस पूरे घोटाले से जुड़ी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है.
कहां से शुरू हुआ मामला?
इस मामले की शुरुआत हुई 28 दिसंबर 2023 को, जब रांची के सदर थाना में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के स्वर्णरेखा डिविजन के तत्कालीन कैशियर सह अपर डिविजनल क्लर्क संतोष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई. आरोप था कि उसने लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के नाम पर फर्जी भुगतान आइडी बनाकर 2.71 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी की थी. जांच में पता चला कि ये निकासी मार्च 2020 में तीन तारीखों – 16, 18 और 23 मार्च को की गई थी. रकम अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर की गई थी.
कैसे हुआ घोटाला?
संतोष कुमार ने ED को दिए अपने बयान में स्वीकार किया कि उसने यह घोटाला तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह के कहने पर किया. उसने फर्जी भुगतान आईडी बनाकर छह चेक तैयार किए और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से राशि निजी खातों में ट्रांसफर की. संतोष कुमार के मुताबिक, फर्जी भुगतान को पास करवाने के लिए कोषागार पदाधिकारी और हेड क्लर्क को भी 10% कमीशन पर तैयार किया गया था. इन पैसों को संतोष कुमार ने अपने और अपनी कंपनी मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के खातों में डाला.
ED की रिपोर्ट में बड़े खुलासे
ED की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जांच के दौरान कुल 22 करोड़ 93 लाख 42 हजार 947 रुपये की फर्जी निकासी का पता चला है. ये पैसे विभाग और कोषागार कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से निकाले गए. इनमें से करीब 12 करोड़ रुपये की नकद निकासी की गई, जबकि बाकी रकम को 11 अन्य लोगों के खातों में ट्रांसफर किया गया.
इन 11 लोगों में कई बड़े नाम शामिल हैं:
- प्रभात कुमार सिंह (1.75 करोड़ रुपये)
- राधो श्याम (1 करोड़ रुपये)
- चंद्रशेखर (3 करोड़ रुपये)
- निरंजन कुमार (80 लाख रुपये)
- परमानंद कुमार (1 करोड़ रुपये)
- सुरेंद्र पाल मिंज (30 लाख रुपये)
- मनोज कुमार (15 लाख रुपये)
- सुनील कुमार सिन्हा (85 लाख रुपये)
- संजय कुमार सिंह (10 लाख रुपये)
- रंजन कुमार सिंह (7 लाख रुपये)
- संतोष कुमार खुद (3 करोड़ रुपये)
किन खातों में हुआ ट्रांजैक्शन?
फर्जी निकासी की रकम कई अलग-अलग बैंक खातों में भेजी गई. इनमें YES Bank, Axis Bank, ICICI Bank, SBI, Canara Bank और Bank of India शामिल हैं. अकेले संतोष कुमार और उसकी कंपनी के खातों में 22.93 करोड़ रुपये का ट्रांसफर पकड़ा गया.
म्यूचुअल फंड में भी किया निवेश
ED की जांच में यह भी सामने आया है कि संतोष कुमार ने फर्जी निकासी की रकम में से करीब 6 से 7 करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड में निवेश किए. बाकी पैसे उनके निजी खातों में पड़े थे.
IAS मनीष रंजन की भूमिका
IAS मनीष रंजन अक्टूबर 2022 से जनवरी 2024 तक पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव थे. जांच में पाया गया कि जिस अवधि में फर्जी निकासी हुई, वह उनकी सचिवीय जिम्मेदारी के समय की थी। ED की रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि विभागीय मंत्री, सचिव और इंजीनियरों में कमीशन की रकम बांटी गई थी.
क्या आगे होगा?
यह मामला अब अदालत में है और ED ने अपनी रिपोर्ट एडजुकेटिंग अथॉरिटी को सौंप दी है. संतोष कुमार को झारखंड पुलिस ने 9 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया था और अब मामले की जांच तेजी से चल रही है.