रांची : कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर रांची सदर अस्पताल में चल रही तैयारियां सवालों के घेरे में है। बता दें कि झारखंड उच्च न्यायालय ने दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सदर अस्पताल में तैयारियों की समय सीमा समाप्त होने पर फटकार लगाई थी। रांची सदर अस्पताल में कोरोना की तैयारियों पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाली प्रार्थी ज्योति शर्मा ने बताया कि हर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने भी निजी कंपनी को फटकार लगाते हुए राज्य सरकार से भी इस पर कई बार जवाब मांगा। लेकिन एक के बाद एक तीन बार समय सीमा समाप्त हो गया लेकिन यहां काम सुस्ती से चल रहा है। सदर अस्पताल में 300 ऑक्सीजन प्लांट सपोर्टेड बेड, लिफ्ट, पर्यावरण निकासी, रसोईघर, अग्नि शमन और लॉन्ड्री समेत तमाम सुविधाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के मकसद से विजेता कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन निजी कंपनी अपनी हर तारीख पर असफल साबित होती नजर आई है।
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए रांची सदर अस्पताल में कई सहूलियत को जल्द से जल्द देने की जिम्मेदारी विजेता कंपनी पर थी। लेकिन आज की तारीख में काम का अगर आकलन किया जाए तो 300 ऑक्सीजन प्लांट सपोर्टेड बेड का काम अधूरा ही है। किचन गोदाम बन गया है यहां तक कि काम शुरू नहीं हुआ है। 5 लिफ्ट में से दो ही तैयार हुआ है और 3 निर्माणाधीन है। 5 जनरेटर सेट में तीन लगे हैं और शेष दो अभी भी बाकी है। लॉन्ड्री भी अब तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। साथ ही कैंटीन में अग्नि शमन की व्यवस्था नहीं है।
रांची सदर अस्पताल की अस्पताल प्रबंधक जीरन कांडूलना का भी मानना है कि विजेता कंपनी ने अपना काम कई सब ठेकेदार को सौंप रखा है। जिसकी वजह से जिम्मेदारी और जवाबदेही का पता नहीं चल पा रहा है। उन्होंने कहा कि हर फ्लोर की जिम्मेदारी अलग-अलग उप ठेकेदार को दे दी गई है, जिससे काम पूरा होने में मुश्किल हो रहा है। वह सप्रभारी सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार मानते हैं कि काम की रफ्तार जितनी तेजी से होनी चाहिए थी उतनी नहीं है। उन्होंने बताया कि कई काम आखिरी चरण में है। जिन्हें जल्द पूरा कर लिया जाएगा।