रांची: रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में पावरग्रिड द्वारा 20 करोड़ की लागत से निर्मित परिजन विश्राम गृह उद्घाटन के नौ महीने बाद भी पूरी तरह से फंक्शनल नहीं हो सका है। 9 जुलाई 2024 को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस विश्राम गृह का उद्घाटन किया था, लेकिन इसके बाद से यह भवन सिर्फ पहले तल्ले तक ही सीमित है, जबकि बाकी चार फ्लोर बंद पड़े हुए हैं।
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अभी तक शुरू नहीं हुए बाकी फ्लोर
रिम्स डेंटल कॉलेज के पीछे बने इस परिजन विश्राम गृह का उद्देश्य था कि मरीजों के परिजनों को सस्ते दरों पर ठहरने की सुविधा मिल सके। लेकिन हालात ये हैं कि पिछले पांच महीनों से सिर्फ पहले तल्ले पर ही मरीजों के परिजनों को ठहरने की सुविधा मिल रही है, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें तल्ले के सभी कमरे बंद पड़े हैं। दैनिक भास्कर ने भवन के अंदर जाकर जांच की तो पाया कि इन फ्लोरों के सभी कमरे लॉक थे और इनकी सफाई भी नहीं की गई थी। वेटिंग रूम की कुर्सियों पर धूल जमी हुई थी और रिसेप्शन पर बैठे कर्मी ने बताया कि केवल एक फ्लोर संचालित हो रहा है और बाकी फ्लोर अभी शुरू नहीं हुए हैं।
कैंटीन और फार्मेसी की नहीं मिल रही जानकारी
विश्राम गृह में कैंटीन, कैफेटेरिया और फार्मेसी की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। इन सेवाओं के लिए एजेंसी का चयन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना है, लेकिन नौ महीने बाद भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। प्रबंधन को पावरग्रिड द्वारा इस बारे में कई बार याद दिलाया गया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई।
दूसरे फ्लोर की सुविधाएं उपलब्ध नहीं
विश्राम गृह में पांच फ्लोरों का निर्माण किया गया था, जिसमें प्रत्येक फ्लोर पर दो-दो कॉमन वॉशरूम और दिव्यांगों के लिए अलग से पांच बाथरूम बनाए गए हैं। इसके अलावा, प्रत्येक कमरे में छह-छह बेड डोरमिट्री व्यवस्था के तहत लगाए गए हैं और हर फ्लोर पर वॉटर प्यूरीफायर और छत पर सोलर वॉटर हीटर प्लांट की सुविधा उपलब्ध है। हालांकि, इन सुविधाओं का लाभ सिर्फ पहले फ्लोर तक ही मिल पा रहा है, बाकी फ्लोरों पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
गरीब परिजनों को हो रही परेशानी
रिम्स राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है, जहां हर समय 2000 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। इनके परिजन अब भी बाहर किराए पर कमरे लेकर रहने को मजबूर हैं, क्योंकि विश्राम गृह का पूरा हिस्सा अब तक शुरू नहीं हो सका है। अस्पताल में आने वाले गरीब परिजनों को 50 से 100 रुपये की न्यूनतम शुल्क पर ठहरने की सुविधा दी जानी थी, लेकिन अब तक यह योजना पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है।
प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल
विश्राम गृह का उद्घाटन हुए नौ महीने हो चुके हैं, लेकिन फिर भी प्रबंधन ने इसे पूरी तरह से फंक्शनल बनाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। अब तक टेंडर प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है, जिसके कारण गरीब मरीजों के परिजनों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही है। यह पूरे प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी हो रही है।
इस समय सिर्फ पहले तल्ले पर सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि बाकी फ्लोरों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। अगर जल्द ही इन फ्लोरों को खोलने और अन्य सुविधाओं का संचालन शुरू नहीं किया गया, तो यह गरीब परिजनों के लिए बड़ी समस्या बन सकती है।