झारखंड में उद्योगों को मिलने वाली बिजली होगी महंगी, डीवीसी ने प्रस्ताव भेजा

झारखंड में घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योगों को मिलने वाली बिजली भी महंगी होने जा रही है। दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। इस प्रस्ताव में प्रति यूनिट बिजली दर में 2.08 रुपये तक और फिक्स चार्ज में 50 रुपये प्रति माह की वृद्धि करने की मांग की गई है।

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जनसाधारण से मांगे गए सुझाव और आपत्तियां

नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव पर सार्वजनिक आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए हैं। आयोग ने निर्देश दिया है कि प्राप्त सभी आपत्तियों और सुझावों का जवाब डीवीसी को सात दिनों के भीतर देना होगा, जिसकी एक प्रति नियामक आयोग को भी भेजनी अनिवार्य होगी। जनसाधारण 24 फरवरी तक अपने सुझाव और आपत्तियां भेज सकते हैं, जबकि डीवीसी को 3 मार्च तक सभी आपत्तियों का जवाब देना होगा। हालाँकि, अंतिम निर्णय नियामक आयोग की जनसुनवाई के बाद ही लिया जाएगा।

बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव (2025-26)

उपभोक्ता श्रेणी वर्तमान दर (रु./यूनिट) प्रस्तावित दर (रु./यूनिट) वर्तमान फिक्स चार्ज (रु./माह) प्रस्तावित फिक्स चार्ज (रु./माह)
उद्योग (11 केवी) 4.05 6.13 400 450
उद्योग (33 केवी) 4.05 6.13 400 450
लाइसेंसधारी (33 केवी) 3.70 5.60 400 450
उद्योग (132 केवी) 4.05 6.13 400 450
लाइसेंसधारी (132 केवी) 3.70 5.60 400 450
उद्योग (220 केवी) 4.05 6.13 400 450

डीवीसी की झारखंड में बिजली आपूर्ति

डीवीसी झारखंड में लगभग 900 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करता है। इसका कमांड एरिया सात जिलों में फैला हुआ है, जिनमें हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, रामगढ़, बोकारो, धनबाद और गिरिडीह शामिल हैं। पीक ऑवर के दौरान विभिन्न जिलों में बिजली की मांग इस प्रकार रहती है:

  • हजारीबाग: 309 मेगावाट
  • कोडरमा: 152 मेगावाट
  • धनबाद: 352 मेगावाट
  • गिरिडीह: 250 मेगावाट
  • बोकारो: 239 मेगावाट

डीवीसी के प्रमुख पावर प्लांट और उनकी क्षमता

  • बोकारो थर्मल पावर स्टेशन – 500 मेगावाट
  • चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन, धनबाद – 500 मेगावाट
  • कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन – 1000 मेगावाट
  • पंचेत हाइडल पावर स्टेशन – 80 मेगावाट
  • तिलैया हाइडल पावर स्टेशन – 4 मेगावाट

यदि नियामक आयोग डीवीसी के इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है, तो झारखंड के उद्योगों और लाइसेंसधारी उपभोक्ताओं को बिजली के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। राज्य में औद्योगिक विकास और व्यवसायों की लागत पर इस वृद्धि का सीधा असर पड़ेगा।

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