रांची: झारखंड में लगातार की जा रही बिजली कटौती से हाहाकार मचा है। इस बीच दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशानुसार अतिरिक्त बिजली मुहैया कराने की दिशा में शुरुआत कर दी है। शुक्रवार से डीवीसी ने 50 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति आरंभ कर दी, इससे स्थिति में थोड़ा सुधार दिखा। बिजली वितरण निगम ने डीवीसी को बकाया मद में 332 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। डीवीसी अपने कमांड एरिया के सात जिलों में 550 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर रहा है। राज्य सरकार से मिली 1690 करोड़ की सब्सिडी में पहले चरण में बिजली वितरण निगम को 563 करोड़ रुपये मिल गए हैं। इसमें 332 करोड़ डीवीसी को और 230 करोड़ रुपये एनटीपीसी को भुगतान किया गया है। डीवीसी के प्रवक्ता अभय भयंकर के मुताबिक डीवीसी सरकार को सहयोग करने के लिए तैयार है। अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था भी की जा रही है।
लगभग 550 मेगावाट की लोड शेडिंग..
शुक्रवार को राज्य में 550 मेगावाट की लोड शेडिंग हुई। शुक्रवार को टीवीएनएल से 350 मेगावाट, आधुनिक से 188 मेगावाट, इनलैंड से 55 मेगावाट बिजली मिली। 607 मेगावाट बिजली एनटीपीसी व सेंट्रल पूल से मिल रही है। कुल उपलब्धता 1200 से 1250 मेगावाट बिजली की है। जबकि मांग 1750 मेगावाट के आसपास है।
बिजली वितरण निगम के निदेशक ने संभाला मोर्चा, कम हुई बिजली कटौती..
बीते एक सप्ताह से राज्य में चला आ रहा बिजली संकट शुक्रवार को थोड़ा पटरी पर आता दिखा। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव सह बिजली विकास निगम के सीएमडी अविनाश कुमार के निर्देशानुसार पूरा अमला चुस्त दिखा. इस दौरान राजधानी रांची समेत अन्य महत्वपूर्ण शहरों को जहां पीक आवर में फुल लोड मिला, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आपूर्ति में सुधार दिखा।
रांची एरिया बोर्ड के महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव के मुताबिक शुक्रवार को हटिया, नामकुम और कांके ग्रिड से फुल लोड बिजली की उपलब्धता मिली। आपूर्ति पूरी तरह सामान्य रहा। उधर प्रधान सचिव के निर्देशानुसार बिजली वितरण निगम के निदेशक केके वर्मा अपने मातहत पदाधिकारियों के साथ रात में स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर में जमे रहें। उन्होंने सेंटर से ही सभी विद्युत एरिया बोर्ड के महाप्रबंधकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के हालात का जायजा लिया।
केके वर्मा ने कहा कि यह राहत की बात है कि शुक्रवार को बिजली आपूर्ति में अपेक्षित सुधार आया है। इसमें और निरंतर प्रगति होगी। जल्द ही बिजली आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। तकनीकी परेशानी भी वितरण को सामान्य बनाने में एक बड़ा अड़चन है। इसपर भी काबू पा लिया जाएगा। प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कम उपलब्धता की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया है कि किसी भी हाल में ग्रामीण क्षेत्र के फीडर से इंडस्ट्री को बिजली नहीं दी जाए। इसका असर पड़ा है। जानकारी के मुताबिक आदित्यपुर और धालभूमगढ़ में ऐसी शिकायत मिली है। पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि इस प्रवृति को छोड़ें और लगातार मुख्यालय के संपर्क में रहें।
बिजली की किल्लत दूर करने की पुरजोर कोशिश..
राज्य में बिजली की किल्लत को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार बिजली क्षेत्र में सुधार की दिशा में सरकार ठीक से आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है। इसका विपरीत असर पड़ रहा है। दरअसल इसपर बात बढ़ाने के पहले थोड़ा पीछे जाना होगा। केंद्र सरकार ने बिजली के सुधारात्मक उपाय आरंभ किए लेकिन आरंभ में ही इससे जुड़ी योजनाएं घोटाले की भेंट चढ़ गई। तब राज्य में मधु कोड़ा की सरकार थी। ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं इसके कारण परवान नहीं चढ़ पाई। इसकी परिणाम हुआ कि सुधारात्मक उपायों को धरातल पर उतारने के मामले में झारखंड पिछड़ने लगा। योजनाओं का पूरा होने मे वक्त लगा। जब स्थायित्व आया तो तेजी से काम बढ़ा। इसी दौरान राज्य विद्युत बोर्ड का विखंडन का स्वतंत्र कंपनियां गठित की गई। वितरण और संचरण व्यवस्था को इसके बाद काफी मजबूती मिली, लेकिन उत्पादन का दायरा नहीं बढ़ पाया।
इस क्रम में पीटीपीएस और एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम की योजना बनी, लेकिन यह योजना फिलहाल धीमी गति से चल रहा है। इसको धरातल पर उतारने के लिए गति बढ़ानी होगी। इसके बूते राज्य बिजली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएगा। सबसे बड़े विद्युत उत्पादक संयंत्र टीवीएनएल की विस्तारीकरण योजना अपेक्षित है। ललपनिया में इसके लिए संभावना है, लेकिन इसपर गंभीरता से काम आगे बढ़ाना होगा। इसके अलावा सौर ऊर्जा की योजनाओं को भी धरातल पर उतारना होगा। जो योजनाएं पाइपलाइन में है, उसे आरंभ कर दिया गया तो राज्य बिजली की अत्यधिक उपलब्धता वाले प्रदेशों में शुमार हो जाएगा। निजी पावर प्लांटों से भी कम दर पर उपलब्धता होने से स्थिति बेहतर होगी।
तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट पर भी कार्य आरंभ किया जा सकता है। यह प्रोजेक्ट सरेंडर हो चुका है और इसकी पूरी प्रक्रिया नए सिरे से आरंभ की जाएगी। उद्योगों को बेहतर बिजली आपूर्ति के लिए भी प्रयत्न करना होगा। इसमें प्रतियोगिता भी है। जमशेदपुर और सरायकेला में टाटा स्टील के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी जुस्को भी उद्योगों को बिजली आपूर्ति करती है। डीवीसी अपने कमांड एरिया के सात जिलों में विद्युत आपूर्ति करता है। कृषि के लिए अलग से फीडर का दावा किया जाता है, लेकिन इसके लिए अतिरिक्त उपलब्धता आवश्यक है।