हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट ने झारखंड में बगैर पिछड़ा वर्ग आरक्षण के नगर निकायों का चुनाव करने का फैसला लिया है। इस फैसले से पलामू जिला के मेदिनीनगर नगर निगम से लेकर रांची और धनबाद समेत 48 नगर निकायों की राजनीति प्रभावित होगी। वहीं एक बार फिर से नए सिरे से सभी नगर निकायों के मेयर के साथ ही वार्ड पार्षदों की आरक्षण श्रेणी भी निर्धारित होगी। दरअसल मेदिनीनगर और धनबाद नगर निगम का मेयर ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित था लेकिन इस फैसले के बाद से अब जनरल से लेकर एसटी और एससी के लिए भी यहां दरवाजा खुल जाएंगे। साथ हज एसटी के लिए आरक्षित रांची नगर निगम के मेयर पद में भी बदलाव किए जा सकते है।
फिर से होंगे चुनाव
गौरतलब हो कि मेदिनीनगर नगर निगम, हुसैनाबाद नगर और छतरपुर पंचायत का कार्यकाल अप्रैल, 2023 में समाप्त होगा। वहीं इन तीनों के साथ रांची नगर निगम समेत 34 नगर निकायों का चुनाव अप्रैल, 2018 में किया गया था। हालांकि धनबाद, विश्रामपुर, देवघर, चास, झुमरी तिलैया, चक्रधरपुर, कोडरमा और मझियांव नगर निकाय का कार्यकाल मई 2020 में समाप्त हो चुका है। जिसके बाद कोरोना महामारी के कारण चुनाव नहीं कराया गया। बता दें कि झारखंड सरकार ने साल 2018 में 6 नए नगर निकायकों का सृजन किया था। आशंका जताई जा रही है कि मेदिनीनगर सहित 34 नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सभी 48 नगर निकायों में मार्च-अप्रैल तक चुनाव कराए जा सकते है।
ओबीसी वर्ग के लिए नहीं होगा आरक्षण!
साल 2018 के चुनाव में पलामू जिला के मेदिनीनगर नगर निगम में अरुणा शंकर मेयर पद पर निर्वाचित हुईं थीं। उस वक्त मेयर का पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित रखा जाता था। कैबिनेट के नए फैसले के आधार पर अब यहां की सीट ओबीसी के लिए नहीं होगा। बल्कि सामान्य होने पर अरुणा शंकर मेयर का चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षित होगा तो वह चुनाव मैदान से बाहर हो जाएंगी।
बदला जा रहा आरक्षण..
बता दें कि नगर निकायों में आरक्षण के लिए एक निर्धारित नियम बनाया है। जिसके तहत सभी 48 नगर निकायों में नए सिरे से आरक्षण श्रेणी निर्धारित की जाएगी। वहीं सभी जगह बदलाव किये जा सकते हैं। रांची नगर निगम के चुनाव के दौरान साल 2018 में मेयर के आरक्षण में तकनीकी कारणों से बदलाव नहीं हुआ था। हालांकि अब रांची और धनबाद में भी चुनाव होने के आसार दिख रहे है।