झारखंड में चुनाव आयोग की तैयारियां तेज़, बढ़ा सकता है राजनीतिक घमासान ….

झारखंड में विधानसभा चुनाव के बारे में अधिकारियों और राजनीतिक पार्टियों के बीच तनाव तेज हो रहा है. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोणों के बीच बहस और विवाद जारी हैं. झारखंड विधानसभा का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त होने के बावजूद, चुनाव आयोग द्वारा अक्टूबर महीने में चुनाव कराने की संभावना को लेकर जेएमएम और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ रहा है.

झारखंड में समय से पहले चुनाव का विवाद

झारखंड में विधानसभा चुनाव के आयोजन पर विवाद खड़ा है, जहां जेएमएम ने चुनाव आयोग की ओर से समय से पहले चुनाव कराने के निर्णय को अलोकतांत्रिक बताया है. जेएमएम के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता ने इस परिप्रेक्ष्य में कहा कि अगर राज्य में चुनाव जल्दबाजी में कराए जाते हैं, तो उसे अनुचित माना जाएगा और जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे स्थिति में आयोग के खिलाफ आंदोलन भी हो सकता है.

जेएमएम की स्थिति:

झारखंड में जेएमएम की सरकार सत्ता में है और इसलिए उसके लिए यह चुनाव राजनीतिक महत्व का मुद्दा है. चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेकर जल्दबाजी करने का आरोप जेएमएम द्वारा लगातार किया जा रहा है. जेएमएम के प्रवक्ता और केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह दावा किया कि अगर आयोग ने अक्टूबर में चुनाव कराने का फैसला किया, तो यह लोकतंत्र के खिलाफ होगा. उन्होंने चुनाव की तारीखों का संवैधानिक तौर पर घोषणा करने की मांग की और विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव आयोग के निर्णय का समर्थन किया.

बीजेपी की दृष्टि:

बीजेपी ने जेएमएम के आरोपों को नकारते हुए कहा कि जेएमएम चुनाव से डर रही है. उनके प्रदेश प्रवक्ता रमाकांत महतो ने जेएमएम के खिलाफ आयोग के फरमान की अनुपालन नहीं करने पर आंदोलन की धमकी दी और इसे संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का आरोप लगाया. बीजेपी ने चुनाव आयोग के निर्णय का समर्थन किया और उसे लोकतंत्र की बाध्यता का पालन करने के लिए माना.

चुनाव आयोग की दिशा:

भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड में चुनाव की तैयारियों को लेकर विभिन्न उपायों को अपनाया है. आयोग द्वारा स्थापित गाइडलाइंस के अनुसार, हाउसिंग सोसायटी जैसे बड़े समुदायों में नए मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे ताकि मतदान की सुविधा में सुधार हो सके. इसके अलावा, आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्यक्रम को विस्तृत रूप से चलाया है और सुनिश्चित किया है कि वह त्रुटि-रहित हो. चुनाव आयोग ने विभिन्न पार्टियों और नागरिकों की राय को महत्व देते हुए चुनाव की तैयारियों में खुले और संवेदनशील दृष्टिकोण को अपनाया है.

मतदाता सूची और घर-घर सत्यापन की समीक्षा

बैठक में सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों ने अपने जिलों में चल रहे मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम और अपडेटेड मतदाता सूची के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की. चुनाव आयोग ने इस बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया और नवीनीकरण की जरूरत वाले पुराने लेमिनेटेड मतदाता पहचान पत्रों को बदलने की बात कही. इसके साथ ही, विशेष जागरूकता अभियान चलाकर युवाओं, दिव्यांगजनों, महिलाओं और पीवीटीजी वर्गों को मतदाता सूची में पंजीकृत करवाने का निर्देश भी दिया गया.

हाउसिंग सोसायटी में अलग बूथ की व्यवस्था

सीनियर डीईसी नितेश व्यास ने बताया कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में जहां हाउसिंग सोसायटी में 500 से अधिक मतदाता होते हैं, वहां भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के अनुरूप सोसायटी के अंदर ही नए मतदान केंद्र का आयोजन किया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य मतदान प्रतिशत को बढ़ाना और मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाना है.

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