झारखंड के रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो गई है. इस प्रस्ताव को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. फिलहाल, रिम्स से जुड़े सभी कोर्स जैसे एमबीबीएस, बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों की परीक्षा, परिणाम और डिग्री प्रदान करने की जिम्मेदारी रांची विश्वविद्यालय के पास है. हालांकि परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करने और मूल्यांकन करने का काम रिम्स ही करता है, लेकिन अंतिम प्रक्रिया के लिए उसे रांची विश्वविद्यालय पर निर्भर रहना पड़ता है.
डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा क्यों जरूरी?
रिम्स को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने से कई अहम बदलाव होंगे. डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने के बाद रिम्स को न केवल अपने कोर्स का स्वतंत्र संचालन करने का अधिकार मिलेगा, बल्कि वह परीक्षा आयोजित करने, परिणाम जारी करने और डिग्री प्रदान करने के मामलों में भी आत्मनिर्भर हो जाएगा. इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी और संस्थान के शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा.
रिम्स निदेशक की तैयारी
रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि संस्थान को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए रिम्स अधिनियम का गहन अध्ययन किया गया है. झारखंड विधानसभा पहले ही रिम्स को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय ले चुकी है. रिम्स के पास पहले से ही एक स्वतंत्र एग्जामिनेशन सेल, प्रश्न पत्र बैंक और विशेषज्ञों की टीम है, जो इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने के लिए तैयार बनाती है.
रिम्स को क्या लाभ होगा?
डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने के बाद रिम्स को रांची विश्वविद्यालय पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. यह संस्थान अपने कोर्स, परीक्षा और डिग्री से जुड़े सभी निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सकेगा. फिलहाल, रिम्स को प्रत्येक कोर्स शुरू करने के लिए रांची विश्वविद्यालय को फीस देनी पड़ती है. डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने से यह बाध्यता समाप्त हो जाएगी.
शासन की भूमिका और मंजूरी
इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यपाल से अनुमति ली जा रही है. यदि मंजूरी मिलती है, तो रिम्स झारखंड का एक प्रतिष्ठित डीम्ड यूनिवर्सिटी बन जाएगा. इससे न केवल झारखंड में उच्च चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह देश के अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक मिसाल बनेगा.
अनुपस्थित डॉक्टरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी
रिम्स प्रबंधन ने डॉक्टरों और कर्मचारियों की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए सख्ती करने का निर्णय लिया है. कई निरीक्षणों में यह पाया गया कि डॉक्टर और कर्मचारी अपने दायित्वों का पालन नहीं कर रहे हैं. रिम्स निदेशक और अधीक्षक के निरीक्षण के दौरान कई कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए. इस लापरवाही को लेकर प्रबंधन ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का मन बनाया है.
जीबी में रखा जाएगा मामला
रिम्स प्रशासन ने यह तय किया है कि कार्य में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के मामलों को रिम्स की शासी परिषद (जीबी) में रखा जाएगा. शासी परिषद में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से भी सहयोग मांगा जाएगा.
शो-कॉज नोटिस के बाद जांच
प्रबंधन ने लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किया था. जब इनके जवाब की जांच की गई, तो पता चला कि कार्रवाई के लिए एक लंबी सूची तैयार हो गई है. हालांकि, प्रबंधन ने यह भी ध्यान दिया है कि इस कार्रवाई से संस्थान की कार्यप्रणाली प्रभावित न हो. इसलिए, मामले को शासी परिषद में रखने का निर्णय लिया गया है.
डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने से क्या बदलेगा?
रिम्स को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के बाद वह स्वतंत्र रूप से शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य कर सकेगा. इससे छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और संस्थान का शैक्षणिक स्तर बढ़ेगा. इसके अलावा, संस्थान को अन्य मेडिकल कॉलेजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में भी मदद मिलेगी.