रांची: झारखंड में सिरमटोली रैंप विवाद के खिलाफ आदिवासी संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद का व्यापक असर मंगलवार को राजधानी रांची समेत राज्य के कई जिलों में देखा गया। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक के इस बंद के दौरान आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ता सरना झंडा और विभिन्न मांगों से जुड़े पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर आए। बंद का असर लातेहार, गुमला, चान्हो और खेलगांव समेत कई इलाकों में भी नजर आया।
बंद समर्थकों ने रांची के कई प्रमुख सड़कों को बांस और लकड़ियों से अवरुद्ध कर दिया, जिससे सड़क परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ। जगह-जगह पर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि यातायात के साधन सड़कों से नदारद दिखे। बंद के दौरान केवल आवश्यक सेवाओं को ही छूट दी गई थी।
चान्हो में बंद समर्थकों ने सड़क पर चादर बिछाकर धरना दिया और मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया। इससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। वहीं, खेलगांव में आदिवासी संगठन के सदस्य एक-दूसरे का हाथ पकड़कर सड़क पर खड़े हो गए और आवाजाही को रोक दिया।
बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने “सरना धर्म कोड लागू करो”, “आदिवासी जमीन की लूट बंद करो”, “सादा पट्टा पर रोक लगाओ” जैसी मांगों से जुड़े नारे लिखे पोस्टर भी हाथों में ले रखे थे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया है। जगह-जगह पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके।
सड़कें जाम होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर नागरिक गूगल मैप की मदद से वैकल्पिक मार्ग तलाशते नजर आए। स्कूल-कॉलेजों में उपस्थिति कम रही और सरकारी कार्यालयों में भी सामान्य दिनों की तुलना में कम भीड़ देखी गई।
आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट किया है कि यह बंद उनकी धार्मिक, सामाजिक और जमीन से जुड़ी मांगों को लेकर है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक ऐसे विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे।