बच्चों के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण जरूरी : रूचि कुजूर

देवघर: झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रूचि कुजूर गुरुवार को देवघर पहुंचीं और बच्चों के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि बच्चों का समग्र विकास तभी संभव है जब उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुविधाएं सुलभ रूप से मिलें।

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बैठक में शिक्षा विभाग को निर्देशित किया गया कि ड्रॉप आउट बच्चों की पहचान कर उन्हें दोबारा स्कूल से जोड़ा जाए। निजी विद्यालयों के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए, जिनमें गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार, स्कूल वैन की सुरक्षा, और स्कूल स्टाफ का चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य करने की बात कही गई।

खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि आंगनबाड़ी और आवासीय विद्यालयों में बच्चों को दी जाने वाली भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाए। वहीं सिविल सर्जन को नवजात शिशुओं की देखभाल और कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान देने को कहा गया।

मद्द निषेध पदाधिकारी से कहा गया कि शिक्षण संस्थानों के आस-पास अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाई जाए और इसके खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी एवं जिला बाल कल्याण समिति को बाल हित से जुड़े सभी मानकों का पालन सुनिश्चित करने और बाल-बालिका सुधार गृह का निरीक्षण कर रिपोर्ट आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए।

बैठक के बाद, सभी अधिकारियों के साथ बालिका सुधार गृह का निरीक्षण किया गया। बच्चों द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने और उन्हें उचित मूल्य दिलाने की दिशा में भी चर्चा हुई। रूचि कुजूर ने कहा कि जब बच्चों के उत्पाद उचित मूल्य पर बिकेंगे तो उनका आत्मबल भी बढ़ेगा।

इस अवसर पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कुमारी रंजना, जिला शिक्षा पदाधिकारी बिनोद कुमार, सिविल सर्जन डॉ. जे. के. चौधरी, खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी संजय कुमार, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी मीरा कुमारी, मद्द निषेध पदाधिकारी संजय कुमार श्रीवास्तव, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष कौशल कुमार, सीडब्ल्यूसी सदस्य मनोरमा सिंह, देवेंद्र पांडे, संजय कुमार सिंह, बेबी सरकार, तथा जिला बाल संरक्षण इकाई की सुषमा प्रिया और अनिल पासवान उपस्थित थे।

रूचि कुजूर ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि बच्चों के हित में कार्यों को गंभीरता से लें और उनकी जरूरतों को प्राथमिकता दें, ताकि एक स्वस्थ और सुरक्षित बचपन सुनिश्चित किया जा सके।

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