ई-कामर्स बाज़ार के तेज़ी से बढ़ते प्रचलन ने खुदरा व्यापारियों की समस्या बढ़ा दी हैं। झारखंड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के सचिव संजय अखौरी ने इस सन्दर्भ में भारत सरकार के वित्त एवं वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि ई-कामर्स कंपनियों पर नियंत्रण बनाया जाये। पत्र में यह भी कहा गया है कि देश में तेजी से बढ़ते ई-कामर्स बाजार के कारण आफलाइन रिटेल कारोबार घट रहा है और नतीजतन इस क्षेत्र में रोजगार में भी कमी आ रही है। आंकड़ों की मानी जाए तो आफलाइन ट्रेडर्स का कारोबार तीन साल में 20 से 35 फीसदी तक घटा है।
केंद्र सरकार के ई-कामर्स क्षेत्र की नयी पॉलिसी से हमें उम्मीद थी कि अब एक्सक्लूसिव सेल आदि घटेगी जिससे उनके आफलाइन कारोबार को मदद मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,” – संजय अखौरी, सचिव, झारखंड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन
उन्होंने बताया कि “खुदरा व्यापार कोविड काल में सभी प्रकार के संकटों का सामना कर रहा है। खुदरा व्यापार राष्ट्र का लगभग 90 प्रतिशत रोजगार के अवसर पैदा करता है, बैंक डिफाल्ट में भी भागीदारी शून्य समान है, फिर भी आज खुदरा व्यापार पूर्ण रूप से उपेक्षित है और कारपोरेट जगत सरकार के संरक्षण में उन्नति कर रहा है।”
उनका कहना है कि कोरोना के वैश्विक महामारी के कारण व्यापार को धीरे-धीरे पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ई-कामर्स के लोक लुभावन छूट के कारण खुदरा व्यापर में असर पड़ रहा है । विदेशी फंडिंग से ई-कामर्स कंपनियां भारी डिस्काउंट देती हैं। ई-कामर्स के कारण सर्वाधिक नुकसान खुदरा व्यापारियों को ही हो रहा है। इन सब की वजह से खुदरा व्यापार क्षेत्र में नाकारात्मक प्रभाव भी पड़ने आरंभ हो गये हैं और धीरे धीरे बेरोजगारी आ रही है। व्यापर मार्जिन इतना कम हो गया है कि कारोबार करना कठिन हो गया है। हर व्यापारी धंधे को बचाने के लिए कुछ ना कुछ अतिरिक्त कर रहा है। ऐसे में खुदरा व्यापारियों का आग्रह बस इतना है की वाणिज्य मंत्रालय उनकी समस्या हेतु कोई कदम उठाये।