झारखंड में आज शनिवार की सुबह 9:20 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसने लोगों के बीच हलचल मचा दी. जमशेदपुर और खूंटी समेत अन्य इलाकों में धरती अचानक हिल उठी, जिससे लोगों में घबराहट फैल गई. भूकंप का केंद्र चक्रधरपुर, खरसावां क्षेत्र बताया जा रहा है. भारतीय राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, जमशेदपुर में भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई है, जबकि खूंटी में यह 3.6 की तीव्रता पर रही. इस घटना के बाद प्रभावित क्षेत्रों में लोग घरों से बाहर निकल आए और कुछ समय तक स्थिति सामान्य होने का इंतजार करते रहे. हालांकि इस भूकंप से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है.
झारखंड में क्यों महसूस किए गए झटके?
भूकंप के झटके महसूस करने वाले इलाकों में घरों के बर्तन गिरने लगे, जिससे लोगों को इसका एहसास हुआ. लोग जल्दी से घर छोड़कर खुले मैदानों में इकट्ठा हो गए. जानकारी के अनुसार, झारखंड में अक्सर भूकंप के हल्के झटके आते हैं, पर इस बार यह झटका कुछ ज्यादा तेज़ था. विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप की इस घटना का मुख्य कारण पृथ्वी के अंदर की प्लेटों का आपस में टकराना है. पृथ्वी की सतह सात प्रमुख प्लेटों से बनी होती है, जो लगातार हरकत करती रहती हैं. जब ये प्लेटें ज्यादा टकराती हैं, तो ऊर्जा का दबाव बाहर की ओर निकलने लगता है. इस दबाव के कारण धरती में हलचल होती है और इसे भूकंप कहा जाता है.
झारखंड में हाल के वर्षों में भूकंप की स्थिति
झारखंड, विशेषकर चक्रधरपुर, जमशेदपुर और खूंटी जैसे क्षेत्रों में हल्के भूकंप के झटके पिछले कुछ वर्षों में महसूस किए जाते रहे हैं. इन क्षेत्रों में छोटी तीव्रता के झटके कभी-कभी आते हैं, लेकिन लोगों को यह अनुभव सामान्यतया नहीं होता है. इस बार की घटना ने उन्हें सतर्क कर दिया है. चूंकि यह भूकंप हल्के से मध्यम तीव्रता का था, इसलिए जानमाल की कोई हानि नहीं हुई. हालांकि, विशेषज्ञों ने इस घटना के बाद लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दी है.
भूकंप की वजह और उसके असर
भूकंप की तीव्रता और उसकी वजह को समझने के लिए विशेषज्ञ बताते हैं कि यह पृथ्वी के अंदर की टेक्टोनिक प्लेटों की हरकत से उत्पन्न होती है. जब ये प्लेटें अपनी जगह से हटकर टकराती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा निकलती है, जो धरती की सतह पर हलचल के रूप में अनुभव होती है. इस ऊर्जा के निकलने से कई बार खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है, खासकर जब भूकंप की तीव्रता अधिक हो. भूकंप की तीव्रता कम होने पर इसका असर भी कम रहता है, जैसे कि इस बार झारखंड में देखने को मिला. हालांकि, उच्च तीव्रता के भूकंप से बड़ी तबाही मच सकती है.